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पतालेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ में छिपे हैं कई रहस्य

जिले के अतिप्राचीन धरोहर पतालेश्वर महादेव मंदिर की कई गौरव गाथा गर्भ में छिपी है। टनकुप्पा प्रखंड के चोवार गांव में भगवान शिव पतालेश्वर महादेव के रूप में आज भी विराजमान हैं। इनके दर्शन को दूसरे राज्यों से भी लोग आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 09:08 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 09:08 PM (IST)
पतालेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ में छिपे हैं कई रहस्य
पतालेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ में छिपे हैं कई रहस्य

हिमांशु कुमार गौतम, टनकुप्पा

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जिले के अतिप्राचीन धरोहर पतालेश्वर महादेव मंदिर की कई गौरव गाथा गर्भ में छिपी है। टनकुप्पा प्रखंड के चोवार गांव में भगवान शिव पतालेश्वर महादेव के रूप में आज भी विराजमान हैं। इनके दर्शन को दूसरे राज्यों से भी लोग आते हैं।

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अर्पित जल चला जाता है पाताल में

पतालेश्वर महादेव के बारे में चोवार गांव के ही रहने वाले कृष्ण मुरारी सिंह बताते हैं, टिकारी महाराज और उनकी रानी महीने में एक बार पतालेश्वर महादेव की पूजा करने आते थे। इनके शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पर जल गड़गड़ सी आवाज करते हुए पाताल में चला जाता है। जल कहा जाता है। इसका पता आज तक किसी ने नहीं लगा पाया। इसलिए लोग इन्हें पतालेश्वर महादेव कहते हैं।

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गोपलक कुएं की गहराई अथाह

टेकारी महराज भी इस रहस्य को जानने की कई बार कोशिश की पर वे इसका पता नहीं लगा सके। इस गाव में एक प्राचीन कुआं भी है, जिसका नाम गोपलक है। यह कितना गहरा है। इसका भी पता कोई नहीं लगा सका है। पुरानी कथा के अनुसार इस कुएं की गहराई को मापने के लिए सात खटिया की रस्सी कुएं में डाला गया लेकिन गहराई का पता नहीं चल सका।

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इर्द गिर्द जमीन की खोदाई में

कई पत्थर और मूर्ति निकले

मंदिर और कुएं आज भी यहां कायम हैं। मंदिर के इर्द गिर्द जमीन की खोदाई में कई पत्थर और मूर्ति निकले हैं, जो मंदिर के पास सुरक्षित रखे हैं। किंवदंतियों के अनुसार मंदिर का निर्माण टेकारी महाराज के कार्यकाल में हुआ है। पूर्व में शिवलिंग खुले में हुआ करता था। बाद में लोगों ने मंदिर बनवाया। हर वर्ष सावन के महीने और महाशिवरात्रि में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होती है।

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किसी ने नहीं की पहल

इस प्राचीन मंदिर और यहां की धरोहर की ओर सरकार और पर्यटन विभाग ने कभी ध्यान नहीं दिया। कभी कोई पहल भी नहीं की गई। कई बार यहां के लोगों ने मुख्यमंत्री, सासद, विधायक, पुरातत्व विभाग को लिखित और मौखिक कहा। सरकार और संबंधित पुरातत्व या फिर पर्यटन विभाग का ध्यान इस ओर नहीं गया है। वर्तमान में इस प्राचीन धरोहर के रखरखाव ग्रामीण एक समिति के माध्यम से करते हैं।


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