मगध मेडिकल की कोताहियों का अंत नहीं, एक के बाद एक लापरवाही और विवाद से नाता पुराना
जागरण संवाददाता गया
गया । मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल का विवादों से पुराना नाता रहा है। एक के बाद एक लापरवाही के कारण अस्पताल प्रबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। यहां की कुव्यवस्था के कारण ही प्रमंडलीय आयुक्त कई बार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को कार्रवाई के लिए पत्र लिख चुके हैं। एक बार फिर उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद की कोताहियों का जिक्र करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की है। दो जून को विदेश से लौटी प्रवासी महिला कोरोना से संक्रमित थी। अस्पताल प्रशासन द्वारा उसे क्वारंटाइन सेंटर में भेजने के बजाय होम क्वारंटाइन की सलाह दी गई। इसे एक चिकित्सक की गलती कह कर पल्ला झाड़ने की जुगत हुई, लेकिन प्रशासन ने बता दिया कि अपनी जिम्मेदारी से अस्पताल अधीक्षक बच नहीं सकते। जिला प्रशासन के आदेश पर अस्तपाल अधीक्षक समेत तीन चिकित्सकों को दो दिन के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रहना पड़ा। यहां भी लापरवाही की शिकायत है। महज दो दिन क्वारंटाइन रहने से संक्रमण की आशंका टल नहीं जाती। दरअसल, मेडिकल अस्पताल में इस तरह की लापरवाही पहले भी होती रही है। ये तो चंद उदाहरण हैं। गिनने लगेंगे तो कोताहियों को अंत नहीं होगा। केस वन: 27 मार्च 2020
सास ने लगाया था बीमार बहू के साथ अस्पताल में दुष्कर्म का आरोप, पीड़िता की हो चुकी है मौत
रौशनगंज थाना क्षेत्र की एक महिला 27 मार्च को कोरोना की संदिग्ध मरीज के रूप में मगध मेडिकल अस्पताल में भर्ती हुई थी। वह ब्लीडिंग की तकलीफ के बाद भर्ती हुई थी। उसे लेवल टू में रखा गया था। बाद में उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। उसके बाद महिला की उसके गांव में मौत हो गई। मृतका की सास ने आरोप लगाया था कि अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान अस्पताल के कर्मी उसके साथ अश्लील हरकत और छेड़खानी करते थे। उसकी बहू के साथ अस्पताल में दुष्कर्म हुआ। मामले ने तूल पकड़ा तो वार्ड में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच हुई। थाना में केस भी दर्ज हुआ।
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केस दो : 6 अप्रैल 2020
सुरक्षा को धत्ता बता कोरोना वार्ड में घुस गए थे दो संदिग्ध, संक्रमित को कुछ खिलाकर निकल भागे
मगध मेडिकल अस्पताल के कोरोना आइसोलेशन वार्ड में दो फर्जी डॉक्टर बनकर बिना किसी की अनुमति के घुस गए थे। इन्होंने वार्ड में भर्ती एक कोरोना संक्रमित मरीज को अपने मन मुताबिक दवा खिलाकर भाग निकले। इस घटना ने पूरे अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे। बाद में दोनों संदिग्धों को पुलिस ने पकड़ लिया। मेडिकल थाना में घटना की एफआइआर दर्ज है।
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केस तीन : 22 अप्रैल 2020
दो अस्पतालों की फेंकाफेंकी में युवक की गई थी जान, एंबुलेंस तक नहीं दी गई
बदहाल चिकित्सा व्यवस्था उस समय उजागर हुई जब जिले के दो बड़े अस्पताल एक युवक का इलाज करने के बजाय फेंकाफेंकी करते रहे। मगध मेडिकल व जेपीएन अस्पताल की कारगुजारियों का खामियाजा 22 वर्षीय राहुल को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। युवक सीने में दर्द की तकलीफ लेकर इलाज कराने पहुंचा था। औरंगाबाद जिले के खुदमा थाना अंतर्गत बनाही गांव के अपने मां-बाप के इकलौते बेटे की मौत हुई थी। समय रहते सही इलाज होने पर युवक की जान बच सकती थी। पिता रामविजय शर्मा ने मेडिकल अस्पताल में बेटे का इलाज नहीं होने का आरोप लगाया था। मृतक के ससुर राजकिशोर सिंह ने अपने दामाद की मौत के लिए मेडिकल प्रबंधन को कसूरवार ठहराया था। मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से उसे एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई।
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केस चार : 5 सितंबर 2019
हाइड्रोसिल के बजाय कर दिया था बुजुर्ग के दाहिने पैर का ऑपरेशन, दर्द से तड़पता रहा था गरीब
मगध मेडिकल अस्पताल में सितंबर 2019 में एक बड़ी लापरवाही ने चिकित्सा जगत की किरकिरी कराई थी। परैया प्रखंड के पुना कला गांव के 55 वर्षीय भुवनेश्वर यादव की सर्जरी विभाग के डॉक्टर ने हाइड्रोसिल के बजाय पैर में रहे जख्म का ऑपरेशन कर दिया गया था। मामले ने जब तूल पकड़ा तो सर्जरी विभाग ने गलती मानने के बजाय इलाज के तरीके को सही कहा था। हंगामा होने पर आनन-फानन में अस्पताल प्रबंधन ने जाच के लिए कमेटी गठित कर दी। इस मामले में भी थाने में केस दर्ज है।
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अस्पताल प्रबंधन की ओर से मरीजों के इलाज व उनकी समुचित देखभाल में कोई कोताही नहीं बरती जाती है। जब भी कोई वाकया सामने आया है तो दोषी कर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। होम क्वारंटाइन मामले में दोषी चिकित्सक को सेवा से हटा दिया गया है।
- डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद, अधीक्षक, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल, गया।