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गया के कारू लाल ने कबाड़ से बना डाले 200 पावरलूम, 400 बुनकरों को मिला रोजगार

कोरोना संकट के बीच बिहार के गया जिले के मानपुर प्रखंड के पटवा टोली में रोजगार के नए द्वार खुले हैं। अहमदाबाद गुजरात महाराष्ट्र मेरठ से कबाड़ के भाव खरीदकर लाए गए पावरलूम को कारू लाल ने कामयाब बना दिया।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 10:47 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 02:39 PM (IST)
गया के कारू लाल ने कबाड़ से बना डाले 200 पावरलूम, 400 बुनकरों को मिला रोजगार
गया के मानपुर में पावरलूम पर काम करते बुनकर, सांकेतिक तस्‍वीर।

मानपुर (गया), जागरण संवाददाता। दूसरे प्रदेश के उद्योगों कबाड़ के भाव बेचे गए पावरलूम को 'बिना डिग्री वाले इंजीनियर' कारू लाल कारगर बना रहे हैं। बिहार के गया जिले में पिछले छह माह के दरम्यान यहां करीब 200 पावरलूम की मरम्मत कर काम के लायक बनाया गया। पावरलूम चालू होने से कोरोना महामारी में करीब 400 बुनकर मजदूरों की वजह से पटवा टोली के उद्योग संचालकों को काफी बचत हो रही है।

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कोविड-19 महामारी में जहां एक तरफ विभिन्‍न उद्योग जगत को भारी नुकसान हुआ, कारोबार बंद हो गए और लोगों की रोजी छिन गई। वहीं, गया जिले के मानपुर स्थित पटवा टोली में 200 नए पावरलूम लगाए गए। नए पावरलूम लगने से यहां के करीब 400 बुनकरों को रोजगार मिल सका। संकट की घड़ी में रोजगार मिलने से बुनकरों को राहत मिली है। यहां पहले से 10 हजार पावरलूम लगे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब 20 हजार कामगार बुनकर काम करते हैं।

अहमदाबाद, गुजरात, महाराष्ट्र, मेरठ से लाए गए पावरलूम

अहमदाबाद, गुजरात, महाराष्ट्र, मेरठ-अकबरपुर आदि शहरों के उद्योगों में बेकार पावरलूम को कबाड़ के भाव में बेच दिया जाता है। उसे पटवा टोली के उद्योग संचालक करीब 30 हजार में खरीदकर लाते हैं। यहां कारू लाल इसे काम के लायक बनाते हैं। इसमें करीब 70 हजार रुपये खर्च आता है। फिर वह नए से भी अच्छा तैयार हो जाता है। पुराने पावरलूम को बनाने के बाद करीब 15 हजार रुपये की बचत बुनकरों की होती है।

400 बुनकर मजदूरों को मिला रोजगार

पटवा टोली में 200 पावरलूम में विभिन्न डिजाइन के गमछे तैयार किए जा रहे हैं। गमछे को तैयार करने में करीब 400 बुनकर लगे हैं।

बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ के अध्‍यक्ष गोपाल पटवा ने बताया कि घरेलू कुटीर उद्योग के रूप में धागा की बुनाई कर वस्त्र बनाने की तकनीक काफी पुरानी है। इसे पुराने पावरलूम मशीनों से बेहतर तरीके से तैयार किया जाता है। सरकार को आधुनिक तकनीक की मशीनें उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि बुनकरों का आर्थिक विकास तेज हो सके। 200 नए पावरलूम लगे हैं, उनसे कोरोना काल में बहुतों को रोजगार मिला है।


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