कैमूर समाचार: कड़ाके की पड़ रही ठंड से ठिठुर रहे लोग, फिर भी नहीं जल रहा अलाव
हाड़ कंपाने वाली ठंड से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। शीतलहर की चपेट में पूरा प्रखंड इस समय हो गया है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार छह डिग्री सेल्सियस तापमान है। इतनी कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है।
संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। पिछले दो दिनों से प्रखंड क्षेत्र में पड़ रही हाड़ कंपाने वाली ठंड से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। शीतलहर की चपेट में पूरा प्रखंड इस समय हो गया है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार छह डिग्री सेल्सियस तापमान है। इतनी कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है। न तो प्रशासनिक स्तर से कहीं अलाव जलाया जा रहे है और न ही जरुरतमंद लोगों को सरकारी स्तर पर कंबल दिया जा रहा है। गरीब तबके के लोग किसी तरह लकड़ी व कूट की पेटी इकट्ठा कर उसे जला कर ठंड से राहत पा रहे हैं। चौक चौराहों पर अलाव नहीं जलने से भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
जेब से रुपये खर्च कर जला रहे अलाव
अपनी जेब से या दुकान से लकड़ी की पेटी व अन्य तरह के इंधन ले आकर अलाव जला कर अपना शरीर गर्म कर रहे हैं। जो लोग कुछ दिन पहले अब ठंड नहीं पडऩे का एहसास करने लगे थे। वे अब गर्म कपड़ों के खरीदने के लिए दुकानों में भाग दौड़ कर रहे हैं। बाजार के चौक चौराहों से लेकर देवहलियां सिसौड़ा व कलानी बाजार में कहीं अलाव की व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं होने से लोगों में प्रशासनिक अधिकारियों व प्रतिनिधियों के प्रति निराशा का भाव देखा जा रहा है। जबकि इस मद में 40 हजार रुपये जिला से प्रत्येक अंचल को आवंटित भी हुआ है। फिर भी न जाने क्यों लोगों के बीच उपलब्ध नहीं हो रहा है। बाजार के पीएनबी गोड़सरा ब्रांच के समीप लकड़ी की पेटी से आग जलाकर ठंड से बचने की कोशिश में लगे लोगों का कहना है कि दो दिनों से ठंड ने हमलोगों की हालत खराब कर दी है।
अधिकारी व जनप्रतिनिध से नहीं हुई सुनवाई
अलाव नहीं जलने से छोटी बड़ी लकडिय़ां इस ठंड में ज्यादा देर तक नहीं टीक पा रही है। प्रखंड के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार भी लगाई गई, लेकिन अब तक अलाव नहीं जलाया जा सका। जिसके चलते लोगों का इस ठंड से जान बचाना मुश्किल हो रहा है। आइएमए के जिला सचिव सह प्रदेश के संयुक्त सचिव डा. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि इतनी बड़ी लापरवाही प्रशासनिक स्तर पर पहली बार देखी जा रही है। अलाव जलाने के लिए कहीं लकड़ी नहीं गिराया गया और न ही गरीबों के बीच गर्म कपड़े कंबल आदि वितरित हुए।