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यहां सड़क और पुलिया में अंतर नहीं, हादसे का शिकार होते रहते हैं राहगीर, इधर से गुजरें तो रहें संभलकर

गया के टनकुप्‍पा में बंशी नदी पर बनी पुलिया दूर से दिखती भी नहीं। राहगीरों को पता ही नहीं चलता कि यहां पुलिया है क्‍योंकि रेलिंग नहीं बनाई गई है। इस कारण हादसे की आशंका बनी रहती है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 01:59 PM (IST)
देखने से पता नहीं चलता कि सडक है या पुलिया

जेएनएन, गया। रेलिंग राहगीरों के लिए यह संकेत होती है कि वहां गहरा स्‍थान है। प्राय: नदियों व नहरों पर पुल बनाते समय वहां रेलिंग बना दी जाती है। लेकिन गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड का सबसे अतिपिछड़ा क्षेत्र जगरनाथपुर पंचायत अंतर्गत बंशी नदी पर बनी पुलिया के साथ ऐसा नहीं है। यहां दूर से देखने पर पता ही नहीं चलता कि पुलिया भी है। नतीजा यह होता है कि आए दिन लोग गिरते-पड़ते रहते हैं। बावजूद प्रशासन बेखबर बना है। शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

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डेढ़ दशक पूर्व किया गया था पुल का निर्माण

पुलिया का निर्माण करीब डेढ़ दशक पूर्व कराया गया। तब से आज तक क्षेत्र के लोगों एवं जनप्रतिनिधियों ने सांसद, विधायक समेत प्रशासन से कई बार रेलिंग बनवाने की मांग की। लेकिन अब तक उस मांग पर कोई असर नहीं पड़ा।ग्रामीण सह पूर्व प्रखंड उप प्रमुख रामचंद्र यादव, विनय यादव, सुनील प्रजापत, मनोज बर्मा ने बताया कि पुलिया बने डेढ़ दशक हो गए। उस समय संवेदक ने लापरवाही बरती और रेलिंग नहीं बनवाया। संवेदक जैसे तैसे पुलिया बनाकर लोगों को मूर्ख बनाकर चलते बना। इसके बाद ग्रामीण पुल पर रेलिंग बनाने के लिए आज तक मांग करते आ रहे हैं। लेकिन किसी की आंख नहीं खुल रही। क्षेत्र के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है।सांसद एवं विधायक ने  कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई है। रेलिंग नहीं होने की वजह से लोग अंधेरे में पुलिया से गिरकर घायल हो जा रहे है। खासकर जो यहां से अंजान हैं वे हादसे का शिकार होते रहते हैं। दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। मुखिया धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि रेलिंग बनाने के लिए पर्याप्‍त फंड नहीं है। यह कार्य पंचायत की राशि से संभव नहीं है। इधर जिला पार्षद उमेश दास ने बताया कि उन्‍होने जिला परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाया है। साथ ही मुख्यमंत्री सहित जिलाधिकारी को पत्र भी भेजे हैं।


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