Move to Jagran APP

तंत्र के गण: 'पापा लौट आओ, आपकी बहुत याद आती है..बच्चों की बात का हुआ ये असर

एक बीएसएफ अधिकारी के दिए स्लोगन ने वो काम कर दिखाया जो बंदूकें नहीं कर पायीं। बच्चों के द्वारा दिए गए स्लोगन-पापा लौट आओ, आपकी बहुत याद आती है। ये सुनकर कई नक्सलियों के मन बदल गए।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 06:34 PM (IST)
तंत्र के गण: 'पापा लौट आओ, आपकी बहुत याद आती है..बच्चों की बात का हुआ ये असर
तंत्र के गण: 'पापा लौट आओ, आपकी बहुत याद आती है..बच्चों की बात का हुआ ये असर

 गया [नीरज कुमार]। 'पापा लौट आओ, आपकी बहुत याद आती है..।’ इस स्लोगन ने वह कर दिखाया, जो बंदूकें नहीं कर सकी थीं। बच्चों के माध्यम से दिए गए संदेश की यह तरकीब काम कर गई और नक्सली मुख्यधारा में लौटने लगे। बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) अधिकारी मनोज कुमार यादव को जब बिहार में एएसपी अभियान के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया तो उनके सामने नक्सली बड़ी चुनौती थे।

loksabha election banner

सुशिक्षित समाज के नारे का असर

गया के मैगरा में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने भटके युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा को हथियार बनाया। उन्होंने एक कंप्यूटर सेंटर की स्थापना की। इसकी पहल 2017 में हुई। इसे नाम दिया शांतिदूत। एक तरफ वर्दी के फर्ज को अंजाम दे रहे थे तो दूसरी ओर वैचारिक परिवर्तन की लड़ाई।

सुशिक्षित समाज के नारे का असर होने लगा। सेंटर में बच्चे आने लगे। देखते-देखते यह संख्या पांच सौ तक पहुंच गई। सुदूर जंगल-पहाड़ केनक्सली इलाके में सूचना क्रांति से आज की पीढ़ी का यह साक्षात्कार बदलाव का वाहक बनता चला गया। सबसे बड़ी बात यह कि यहां 75 प्रतिशत बालिकाएं पढ़ रही हैं। यह एक नई आहट थी।

मिलने लगी निश्शुल्क शिक्षा

उन्होंने गया-नालंदा की सीमा पर शांतिदूत इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की, जहां अभी 80 बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। इनमें वे भी हैं, जिनके परिवार का कोई सदस्य कभी नक्सली रहा था। उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और अब अपने बच्चों में आने वाला सुनहरा कल देख रहे।

इसमें कैमूर और गया के बच्चे हैं। घोर नक्सल प्रभावित इलाके अधौरा में उन्होंने सुपर-30 नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया और बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की। मनोज फिलहाल किशनगंज में बीएसएफ के कमांडेंट हैं।

देश के लिए एक छोटी-सी कोशिश

नकारात्मकता को मारकर सकारात्मक विचार पैदा करने से ही समाज बदलेगा। मैं अपने समाज और देश के लिए एक छोटी-सी कोशिश कर रहा हूं। उस स्कूल में गरीब बच्चे पढ़ रहे। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के बच्चे भी हैं।

मनोज कुमार, कमांडेंट, बीएसएफ, किशनगंज, बिहार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.