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जंक्शन के सुंदरीकरण में विष्णुपद की उपेक्षा से गयापाल समाज में आक्रोश

गया जंक्शन की बाहरी दीवारों पर उकेरी जा रहीं कलाकृतियों में भगवान विष्णु का चरण चिह्न नहीं देख आक्रोशित गयापाल समाज ने विरोध दर्ज किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 02:19 AM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:28 AM (IST)
जंक्शन के सुंदरीकरण में विष्णुपद की उपेक्षा से गयापाल समाज में आक्रोश
जंक्शन के सुंदरीकरण में विष्णुपद की उपेक्षा से गयापाल समाज में आक्रोश

गया । गया जंक्शन की बाहरी दीवारों पर उकेरी जा रहीं कलाकृतियों में भगवान विष्णु का चरण चिह्न नहीं देख आक्रोशित गयापाल समाज ने विरोध दर्ज किया है।

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समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को जिलाधिकारी अभिषेक सिंह और रेलवे के सहायक मंडल अभियंता विक्रम सेठ से मिलकर विष्णुपद और विष्णु चरण को प्रमुखता से स्थान देने की मांग की है। इन दिनों जंक्शन को आकर्षक बनाने के लिए यहां कलाकृतियां उकेरने का कार्य चल रहा है। इस माध्यम से यहां के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकारी दी जा रही है। यहां उकेरी गई कलाकृतियों में भगवान बुद्ध और महाबोधि मंदिर तो है, पर विष्णुपद व विष्णु के चरण चिह्न नहीं हैं। गयाजी सनातन आस्था की नगरी है। यह मोक्ष और ज्ञान की नगरी है, पर इसमें एक पक्ष का लोप है। विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुपुत समेत समाज के गण्यमान्यों ने जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि जंक्शन की बाहरी दीवार पर जो चित्र उकेरे जा रहे हैं, उनमें बोधगया में जापान द्वारा निर्मित बुद्ध के दाईबुत्सु, ध्यान मग्न तथागत, बोधिवृक्ष के नीचे तथागत, महाबोधि मंदिर के दो स्वरूप और बोधिवृक्ष के नीचे पत्थर पर बने बुद्ध के पदचिह्न हैं। इसका चित्रण किया जा रहा है। वहां भगवान विष्णु का चरण चिह्न नहीं है।

गयापाल पंडा समाज का कहना कि गया की पहचान विष्णुपद और गयाधाम को कहीं भी स्थान नहीं दिया गया है। सनातन धर्म की उपेक्षा पर लोग सड़क पर उतर आएंगे। इसके पहले विष्णुपद में इस मुद्दे को लेकर प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गजाधर लाल पाठक, कोषाध्यक्ष शंभु लाल बिठल, सदस्य महेश लाल गुपुत और समाजसेवी वृजनंदन पाठक ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में रेलवे के प्रति विरोध दर्ज किया। लोगों ने कहा कि अगर रेल महकमा इस पर कोई पहल नहीं करता है तो आंदोलन को रोका नहीं जा सकता है। गयापाल श्री विष्णुपद के मंत्री मणिलाल बारिक ने कहा कि यह हिदू तीर्थयात्रियों की आस्था पर ठेस है। गयाजी में तर्पण और पिंडदान करने वाले सनातन धर्मी जंक्शन के प्लेटफॉर्म पर पांव रखते ही भूमि को नमन करते हुए भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं। इस पर विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि आस्था से जुड़ा सवाल है।


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