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गया में उद्योग नगरी के बुनकरों के 17 लाल ने जेईई में किया कमाल, रोचक है इनके तैयारी करने का तरीका, आप भी जानिए

पटवा टोली में 24 घंटे खटखट की आवाज होते रही है। इसी बीच छात्र-छात्रा शिक्षा ग्रहण कर जेईई की परीक्षा में काफी संख्या में उतीर्ण हो रहे हैं। आखिर कैसे ? समाज के सहयोग से पटवा टोली में कई जगहों पर पढ़ने के लिए एक भवन बनाया गया है।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 05:14 PM (IST)
गया के मानपुर के छात्र हर साल JEE में करते हैं कमालa

जागरण संवाददाता, मानपुर : मानपुर के उद्योग नगरी पटवाटोली के बुनकर विभिन्न तरह के वस्त्र बनाने में काफी माहिर हैं। वे काफी परिश्रम कर काफी सुंदर वस्त्र बनाते हैं। उनकी कला की प्रशंसा बिहार से लेकर बंगाल तक काफी होती। बुनकरों के लाल शिक्षा के क्षेत्र में काफी परिश्रमी हैं। वे इतना मेहनत करते कि प्रत्येक साल जेईई एडवांस में काफी संख्या में छात्र-छात्रा उतीर्ण होते हैं। इस वर्ष यानि 2021 मेें जारी परिणाम में 17 छात्र-छात्रा जेईई एडवांस में उतीर्ण होकर पटवा टोली का नाम देश में रोशन कर दिया। आज उनके स्वजनों के साथ पटवा टोली के तमाम बुनकर काफी प्रसन्न हैं।

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उतीर्ण छात्र का नाम और सामने उसकी रैंक

आर्यन सोलंकी - 6246

आदित्य राज - 6521

अमित कुमार - 6964

राकेश कुमार - 7288

प्रतिक प्रांजल - 7383

प्रियम - 8710

आलोक कुमार - 8861

खुशबू गुप्ता - 8920

श्रुति कुमारी - 8975

महेश कुमार - 12342

शिवा कुमार - 12453

अनुषठा प्रकाश - 13079

अमित कुमार - 13777

शशि कुमार - 18787

शिल्पा कुमारी - 7601 , 

ओवीसीधीरज कुमार - 26174

शुभम कुमार - 27856

ऐसे होते यहां के छात्र-छात्रा सफल

पटवा टोली में 24 घंटे खटखट की आवाज होते रही है। इसी बीच छात्र-छात्रा शिक्षा ग्रहण कर जेईई की परीक्षा में काफी संख्या में उतीर्ण हो रहे हैं। आखिर कैसे ? समाज के लोगों के सहयोग से पटवा टोली में कई जगहों पर छात्र-छात्रा को पढ़ने-लिखने के लिए एक भवन बनाया गया है। उसके अंदर बाहर की आवाज तनिक भी नहीं जाती। उसी भवन में छात्र-छात्रा सामूहिक अध्ययन करते हैं। जिसका मार्गदर्शन जेईई एडवांस में उर्तीण होने वाले छात्र-छात्राओं के द्वारा दिया जाता है। यही वजह है कि पटवा टोली के छात्र-छात्रा प्रत्येक साल काफी संख्या में जेईई एडवांस में उर्तीण होते हैं।

बच्चे भली-भांती जानते हैं अपने अभिभावकों का परिश्रम इसीलिए मन लगाकर करते हैं पढ़ाई

बुनकर दुखन पटवा का कहना है कि कितना परिश्रम कर वस्त्र बनाते हैं, बच्चे भली-भांती जानते हैं। यहीं करण वे काफी मेहनत और लगन के साथ पढ़ते हैं। उनके हौसले को हर समय बुलंद करते रहते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें तनिक भी कष्ट नहीं हो इसका ख्याल बुनकरों के द्वारा हर समय रखा जाता है। जिसके कारण प्रत्येक साल यहां के छात्र-छात्रा काफी संख्या में जेईई एडवांस में उतीर्ण होते हैं।


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