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सात वर्षों में ही साइकिल फैक्ट्री पर लग गया ताला, कभी CM ने की थी तारीफ, अब बेरोजगार हुए सैंकड़ों कर्मी

कभी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने औरंगाबाद की इस साइकिल फैक्‍ट्री का उद्घाटन करते हुए कहा था- जो लोग कहते हैं कि बिहार में सूई की फैक्‍ट्री भी नहीं लगी वे खुली आंखों से देख लें यहां साइकिल बन रही है। आज क्‍या हो गया...

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 12:20 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 12:20 PM (IST)
सात वर्षों में ही साइकिल फैक्ट्री पर लग गया ताला, कभी CM ने की थी तारीफ, अब बेरोजगार हुए सैंकड़ों कर्मी
मात्र सात सालों में बंद हो गई मां मुंडेश्वरी साइकिल फैक्‍ट्री। जागरण।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। इंडस्ट्रियल एरिया का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में फैक्ट्री की बात आती है। लगता है कि यहां कई फैक्ट्रियां होंगी जहां हजारों लोग काम करते होंगे परंतु धरातल पर हकीकत कुछ और होता है। औरंगाबाद शहर से मात्र दो किलोमीटर पूरब स्थित इंडस्ट्रियल एरिया में वर्ष 2013 में जिले के प्रमुख व्यवसायी श्यामकिशोर प्रसाद ने मां मुंडेश्वरी साइकिल उद्योग खोला था।

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सरकार की मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना देख इनके जेहन में फैक्ट्री खोलने का ख्याल आया। लगा कि 20 से 25 लाख साइकिल तो आराम से बिक जाएंगे। सरकार की मदद मिलेगी तो फैक्ट्री आगे बढ़ती जाएगी। 2011 में सोच आई और दो वर्षों में ही फैक्ट्री बनाने का कार्य पूरा कर लिया। 25 करोड़ की लागत से फैक्ट्री का निर्माण हुआ था।

बड़े तामझाम से 10 जुलाई 2013 को साइकिल फैक्ट्री का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कराया। सीएम के सामने अपने सपनों को पंख देने के लिए मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना का जिक्र भी किया। सीएम ने भी संबोधन में साइकिल योजना का जिक्र करते हुए कहा कि अब यहां के छात्राओं को साइकिल खरीदने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

सीएम ने अपने संबोधन में यहां तक कहा था कि जो लोग यह कहते हैं कि बिहार में सूई की फैक्ट्री नहीं खुली है तो वे खुली आंखों से देख लें यहां साइकिल फैक्ट्री खुली है। तब मालिक को लगा कि अब मेरे सपनों को ऊंची उड़ान मिलेगी। साइकिल फैक्ट्री से निर्माण प्रारंभ किया परंतु चार वर्ष में ही उनके सपने चकनाचूर हो गए। 2017 से धीरे-धीरे कर्मियों की छंटनी होने लगी और 2019 तक साइकिल फैक्ट्री बंद हो गई।

कर्मियों के वेतन पर खर्च होते थे 12 लाख रुपये प्रतिमाह

फैक्ट्री से यूएस ब्रांड की साइकिल का उत्पादन होता था। इसके मालिक श्यामकिशोर प्रसाद ने बताया कि शुरुआत में 212 कर्मी कार्य करते थे। तीन शिफ्ट में कर्मी काम करते थे। प्रत्येक माह 15 से 20 हजार साइकिल का उत्पादन होता था। कर्मियों के वेतन पर प्रत्येक माह 12 लाख रुपये खर्च होते थे। आसपास के लोगों को रोजगार मिला था। यहां साइकिल के अधिकांश पार्टस का निर्माण होता था।

साइकिल तैयार कर मार्केट में बेचे जाते थे। कुछ दिनों तक सबकुछ ठीक चला फिर धीरे-धीरे फैक्ट्री का ग्राफ गिरता गया और चार वर्षों में ही बंदी के कगार पर पहुंच गया। 2017 से 19 तक आधा-अधूरा काम होता रहा और फिर ताला लटक गया। अब यहां फैक्ट्री की रखवाली में सिर्फ गार्ड रहता है।

पंजाब के लुधियाना में खोला था कार्यालय

यूएस साइकिल फैक्ट्री का कार्यालय पंजाब के लुधियाना में खोला गया था। फैक्ट्री मालिक श्यामकिशोर प्रसाद ने बताया कि लुधियाना साइकिल फैक्ट्री की राजधानी है। यहां रॉ-मैटेरियल के अलावा साइकिल के सभी सामान मिलते थे। फैक्ट्री की शुरुआत में लुधियाना में ही साक्षात्कार रखा गया था। तब लुधियाना में औरंगाबाद के काम रहे अधिकारी एवं मजदूर पहुंचे थे। वहां से यह सपना लेकर औरंगाबाद आए कि अब घर में काम मिल गया परंतु उनका सपना चार वर्षों में ही टूट कर बिखर गया।

पीएम एवं सीएम को लिखा पत्र

साइकिल फैक्ट्री जब बंद होने लगी तो व्यवसायी श्यामकिशोर प्रसाद ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं उद्योग मंत्री को पत्र लिखा। कहीं से कोई जवाब नहीं आया। बताया कि फैक्ट्री जब बंद हो रही थी तो हमें लगा कि सरकार से मदद मिलेगी। फैक्ट्री चलाना चाहता था परंतु कहीं से कोई मदद नहीं मिला तो बंद करना पड़ा। फैक्ट्री के नाम पर जो विद्युत कनेक्शन लिया गया था उसको लेकर भी विवाद है। हाईकोर्ट में केस चल रहा है। फैक्ट्री लोगों को रोजगार देने के लिए खोला था परंतु मैं खुद बेरोजगार हो गया।


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