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कितने अधिकारियों के बच्चे पढ़ते है सरकारी स्कूलों में, सासाराम डीएम ने मांगी रिपोर्ट

जिले में पदस्थापित कितने अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों मेंं नामांकित है इसकी रिपोर्ट सभी विभागों के प्रधान से डीएम धर्मेंद्र कुमार ने मांगा है। एक प्रपत्र में तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। हाई कोर्ट को यह रिपोर्ट भेजी जानी है ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 09:49 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 10:49 AM (IST)
सासाराम के डीएम धर्मेंद्र कुमार की तस्‍वीर।

 सासाराम:रोहतास, जागरण संवादददाता। जिले में पदस्थापित कितने अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों मेंं नामांकित है, इसकी रिपोर्ट सभी विभागों के प्रधान से डीएम धर्मेंद्र कुमार ने मांगा  है। इस बाबत एक प्रपत्र जारी किया गया है।  प्रपत्र में तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा के अलाव प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। रिपोर्ट देने के लिए जारी किए गए प्रपत्र में पदाधिकारी का नाम, श्रेणी, पढ़ रहे संतानों की संख्या, क्या बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ता है या नहीं, जहां पढ़ाई कर रहे है उस स्कूल का नाम और क्लास के अलावा अन्य जानकारी भी मांगी गई है। जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से भेजा गया यह प्रत्र सभी विभागों में पहुंच गया है।

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दफ्तरों में इस रिपोर्ट की खूब है चर्चा

 डीएम की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि पटना हाईकोर्ट के द्वारा एक केस की सुनवाई के दौरान पारित किए गए अंतरिम आदेश के अनुपालन को ले यह रिपोर्ट भेजी जानी है। जिले के लगभग पांच दर्जन से अधिक विभागों के प्रधानों के पास यह पत्र पहुंचने के बाद दफ्तरों में इसकी चर्चा शुरू हो गई है। चर्चा इस बात की है कि शायद कोर्ट यह जानना चाहती है सरकारी तंत्र के माध्यम से संचालित स्कूलों की गुणवत्ता को वह ले खुद आश्वस्त हैं या नहीं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा करने वाले अधिकांश अधिकारियों के संतान यदि सरकारी स्कूलों में नामांकित नहीं है तो सवाल अपने आप में गंभीर है। जिसका पैरामीटर यह रिपोर्ट तय करेगी।

वहीं जानकारों का कहना है कि प्रथम व द्वितीय श्रेणी अधिकारियों के पुत्र तथा पुत्रियों की बात कौन कहे 90 फीसद सरकारी कर्मियों व शिक्षकों की संतान भी सरकारी स्कूलों में नामांकित नहीं है। यहां वही नामांकित हैं जिसके पास बेहतर निजी विद्य़ालय का विकल्प नहीं है।


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