मानपुर के ऐतिहासिक सूर्य पोखर के सौंदर्यीकरण करने की जरूरत
- फोटो -महापर्व छठ में यहां सूर्यदेव को अर्घ्य देने को उमड़ती है भीड़ -प्रतिमा का भी होता है विसर्जन पास में स्थित मंदिर में करते हैं पूजा-अर्चना ------ -47 नंबर वार्ड में स्थित सूर्यपोखर लोगों की आस्था जुड़ी है -1598 में बंगाल के सूबेदार राजा सवाई मानसिंह ने कराया था निर्माण -07 बीघे में बना है सूर्यपोखर पास में स्थित है सूर्य मंदिर --------- संवाद सूत्र मानपुर
गया । वार्ड 47 में अवस्थित मानपुर ऐतिहासिक सूर्यपोखर से लोगों की आस्था जुड़ी है। यहां प्रतिदिन स्नान कर श्रद्धालु सूर्यमंदिर में भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करते हैं। लोक आस्था के महापर्व छठ में यहां काफी संख्या में सूर्यदेव को अर्घ्य देने पहुंचते हैं। दशहरा, दीपावली, सरस्वती पूजा में क्षेत्र में स्थापित होने वाली प्रतिमा का विसर्जन भी इसी सूर्यपोखर में होता है। नगर निगम द्वारा सफाई की जाती है, लेकिन इसे सौंदर्यीकरण करने की जरूरत है।
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बंगाल के सूबेदार ने
बनाई थी सूर्यपोखर
प्राचीनकालीन सूर्यपोखर का निर्माण बंगाल के सूबेदार राजा सवाई मानसिंह द्वारा वर्ष 1598 में कराया गया था। उन्हीं के द्वारा पोखर के तट पर सूर्य भगवान के भव्य व आकर्षक मंदिर बनाई गई थी, जो आज भी देखने लायक है। सूर्यपोखर करीब सात बीघे में बना है। लोगों का कहना है कि सूर्य मंदिर में पहले रानी के द्वारा पूजा अर्चना की गई थी। उसके बाद क्षेत्र की महिलाएं पूजा अर्चना करने लगीं। यह परंपरा आज भी बरकरार है।
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यहां बंधते हैं परिणय सूत्र में
शादी विवाह का लगन शुरू होते ही सूर्य मंदिर में पुत्र-पुत्री की शादी रचने वालों की भीड़ उमड़ जाती है। यहां दूर दराज से भी लोग शादी विवाह करने आए करते हैं। प्रति वर्ष दर्जनों जोड़ी परिणय सूत्र में बंधते हैं।
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हृदय एवं अमृत योजना से ऐतिहासिक सूर्यपोखर को सौंदर्यीकरण करने की मांग मुख्य सचिव से गत वर्ष की गई थी। आज तक उक्त सूर्यपोखर का चयन हृदय एवं अमृत योजना में नहीं की गई है।
उषा वर्मा, वार्ड पार्षद