Move to Jagran APP

यहां भगवान भोलेनाथ के विवाह से चौठारी तक की रश्म

पेज-3 फोटो-जेपीजी में -महादेव घाट से भोलेनाथ के घर से निकली बरात मां पार्वती के मैके राजेंद्र आश्रम पहुंची --------- -04 दशकों से आयोजित हो रहा विवाहोत्सव ---------- महाशिवरात्रि.. -वैदिक मंत्रोचार के बीच रीति रिवाज से होता शिव-पार्वती का विवाह -सोमवार को महादेव घाट में चौठारी के बाद संपन्न होगा विवाहोत्सव ---------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 07:48 PM (IST)
यहां भगवान भोलेनाथ के विवाह से चौठारी तक की रश्म

गया । शहर में चार दशक पहले राजेंद्र आश्रम मोहल्ले में शुरू हुई शिव-पार्वती विवाहोत्सव आज भी जारी है। भगवान भोलेनाथ के तिलकोत्सव से लेकर विवाह और अंत में चौठारी तक की रस्म विधि विधान से संपन्न कराई जाती है। देखने और महोत्सव में शरीक होने के लिए पूरा शहर उमड़ता है।

loksabha election banner

राजेंद्र आश्रम में माता पार्वती का मैके बनाया गया है। मुहल्लेवासी भगवान भोलेनाथ की बरात का भव्यस्वागत करने में जुटे रहते हैं। कन्यादान राजेंद्र आश्रम के सुदर्शन पासवान और उनकी पत्नी सुमन देवी करती हैं। सुदर्शन बताते हैं, ईश्वर की कृपा है कि हम 22 वर्षो से कमान संभाले हुए हैं।

राजेंद्र आश्रम के शिव पार्वती शुभ विवाह महोत्सव आदर्श कला परिषद से जुड़े दिलीप कुमार, विक्की सिंह व सुदर्शन पासवान बताते हैं, विवाहोत्सव की शुरुआत वसंत पंचमी से होती है। इस दिन राजेंद्र आश्रम मोहल्ले से निर्धारित ससुराल (महादेव घाट) तिलक लेकर जाते हैं। तिलकोत्सव से शादी की रस्म शुरु होती है। उसके बाद राजेंद्र आश्रम स्थित पार्वती मंदिर में मांगलिक गीत होती है। इसमें राजेंद्र आश्रम, कालाबाड़ी, टिल्हा धर्मशाला एवं न्यू एरिया मोहल्ले की महिलाएं मांगलिक गीत गाने के लिए प्रत्येक दिन शाम को पहुंचती हैं। महाशिवरात्रि से दो दिन पहले मंडवाच्छादन, वसरोपण और घृढ़ारी जैसी रस्म होती है। महाशिवरात्रि के दिन विवाहोत्सव शुरू होकर शनिवार को विदाई और सोमवार को महादेव घाट (पार्वती जी की ससुराल) में चौठारी के बाद संपन्न हो जाती है।

---

महादेव घाट से निकली बरात

महादेव घाट (शिवजी की घर) से शुक्रवार को बरात निकली, जो प्रमुख मार्गो से होते हुए राजेंद्र आश्रम पहुंची। यहां से जामुन प्रकाश, विनोद, रामू रजक आदि भोलेनाथ की बरात लेकर राजेंद्र आश्रम आए।

---

कब हुई शुरुआत

राजेंद्र आश्रम मोहल्ले में वर्ष 1969 शिव-पार्वती विवाह की शुरुआत हुई थी। वासुदेव प्रसाद, मोहन हलवाई, हरि हलवाई एवं कन्हाई प्रकाश ने इसकी शुरुआत की थी। 1995 तक निरंतर चलता रहा। उसके बाद 10 वर्ष तक बंद रहा। शुरुआत करने वाले प्राय: लोगों का निधन हो गया। वर्ष 2002 में सुदर्शन पासवान ने कमान संभाली। उसके बाद से जारी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.