बेहतर प्रदर्शन करने वाले जेंटलमैन कैडेट ओटीए में हुए सम्मानित
जागरण संवाददाता, गया : ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में आठ दिसंबर को 14वें पासिंग परेड की
जागरण संवाददाता, गया : ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में आठ दिसंबर को 14वें पासिंग परेड की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इससे पहले बुधवार को लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव ने प्रशिक्षण के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाले जेंटलमैन कैडेटों को ट्राफी, मेडल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस संस्थान से 165 जेंटलमैन कैडेट पासआउट हो रहे हैं। इनमें तीन रॉयल भूटान के हैं। ओटीए में आयोजित एक कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर को पासिंग परेड में लेफ्टिनेंट जनरल बात त्शे¨रग, द्रुक युग्येल, ट्रक्पोई वान्ग्येल और ट्रक्पोई रिनचेन त्युग्टर ऑपरेशन अधिकारी रॉयल भूटान आर्मी मुख्य अतिथि होंगे। वे इस मनोरम अवसर के निरीक्षण अधिकारी होंगे। लेफ्टिनेंट जनरल पीसी थिम्मिया आर्मी ट्रेनिंग कमान कार्यक्रम के मुख्य मेजबान होंगे।
पुरस्कार वितरण समारोह, मेमोरियल सर्विस, बैंक्वेट नाइट और मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले व पिपिंग सेरेमनी मुख्य आकर्षण होगा। मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले एकेडमी के सैन्य प्रशिक्षु एवं भारतीय सेना के विभिन्न रैंकों की सहभागिता से होगा। इसमें जिम्नास्टिक्स, पीटी डिस्प्ले, माइक्रोलाइट, फ्लाइंग, घुड़सवारी प्रदर्शन, मलखंभ, स्काई डाइविंग, मोटर साइकिल डिस्प्ले एवं बैंड डिस्प्ले आदि शामिल है।
----------------------
विश्वस्तरीय प्रशिक्षण की सुविधा
लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव ने पत्रकारों से कहा कि ओटीए, गया से 165 जेंटलमैन कैडेट पासआउट हो रहे हैं। इनमें 125 तकनीकी प्रशिक्षण के क्षेत्र में जा रहे हैं। 37 एससीओ शामिल हो रहे हैं। तीन रॉयल भूटान के कैडेट हैं। इस वर्ष भूटान के भी कैडेटों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई 2011 को ओटीए की स्थापना की गई थी। उस समय से यहां लगातार आधुनिक सुविधायुक्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह विश्वस्तरीय प्रशिक्षण है। बदलते परिवेश में प्रशिक्षण का तरीका बदला है। उसके अनुसार उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर जेंटलमैन कैडेटों को प्रशिक्षण जरूरी है। उनके अंदर नेतृत्व क्षमता विकसित करनी है। इन नए अधिकारियों पर देश की सुरक्षा का भार है। युद्ध के समय कमीशंड ऑफिसर चुनौतीपूर्ण निर्णय लेता है। इसलिए उन्हें ट्रेंड करने के हर पहलू का ध्यान रखा जाता है। आर्मी का गया से जुड़ने का इतिहास है, बहुत पुराना है। उन्होंने कहा कि ओटीए को लेकर किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। ओटीए के स्थानांतरण जैसे उठ रहे सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि यहां आगे भी प्रशिक्षण लगातार मिलता रहेगा। आर्मी तय करेगी कि बेहतर क्या है।