Gaya: मुखिया ने निजी वाहन को सुरक्षित प्रसव के लिए बना दिया एंबुलेंस, पहल के बाद से जच्चा-बच्चा अब सुरक्षित
पंचायत के सभी गांव में जाकर गर्भवती को सुरक्षित प्रसव कराने के लिए जागरूक की। उनके इस पहल के बाद एक भी जच्चा-बच्चा का प्रसव के दौरान मौत नहीं हुई है। प्रत्येक माह 25 से 30 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव मुखिया द्वारा सरकारी अस्पताल भेजकर कराया गया है।
संवाद सूत्र, टनकुप्पा : कहते हैं जहां चाह, वहां राह। कुछ ऐसा ही कर दिखाई है टनकुप्पा प्रखंड के भेटौरा पंचायत की मुखिया अनिता देवी। अनिता देवी अपने पंचायत की गर्भवतियों को संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए पूरे प्रखंड में चर्चित हैं। वे इस कार्य को अपने निजी मद से करती हैं। एक सूचना पर वे अपने निजी वाहन को गर्भवती के घर तक भेज कर उसे अस्पताल भेजती हैं और पीछे से स्वयं पहुंचकर प्रसव के बाद सरकार स्तर से मिलने वाले लाभ भी दिलाती हैं। यह कार्य वो पिछले एक वर्ष से कर रही हैं।
घर में प्रसव कराने के दौरान महिला को क्या परेशानी झेलनी पड़ती है। इसका दुख एक महिला होने के नाते उन्हें पता है । इसके लिए उन्होंने संकल्पित होकर एक मुहिम चलायी। पंचायत के सभी गांव में जाकर गर्भवती को सुरक्षित प्रसव कराने के लिए जागरूक की। जिसका फलाफल आज यह देखने को मिल रहा है। उनके इस पहल के बाद एक भी जच्चा-बच्चा का प्रसव के दौरान मौत नहीं हुई है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक माह 25 से 30 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव मुखिया द्वारा सरकारी अस्पताल भेजकर कराया गया है। अब मुखिया अनिता देवी ने एक नई पहल कर अपने निजी बाेलेरो वाहन को एंबुलेंस में तब्दील करा दिया है।
इसमें आक्सीजन आदि की व्यवस्था भी निजी स्तर से की है। जिसे गुरुवार को हरी झंडी दिखाकर पंचायत के गांवों के लिए रवाना किया गया। एंबुलेंस का चालक मुखिया स्तर से रखा गया है। जो 24 घंटे व सातों दिन काम करेगा। एंबुलेंस उपलब्धता के लिए एक नंबर जारी किया गया है। जिसे गणमान्य ग्रामीणों के अलावे वार्ड सदस्यों को दिया गया है। ताकि जरूरत पड़ने पर उक्त नंबर पर सूचना देकर एंबुलेंस की सेवा ली जा सके। मुखिया अनिता बताती हैं कि मई माह से सुरक्षित प्रसव कराने हेतु पहल शुरू की गई है। अगस्त माह में 24, सितंबर में 28 व अक्टूबर में 31 गर्भवती को अस्पताल ले जाकर सुरक्षित प्रसव कराया गया है।
भेटौरा पंचायत प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर है। इस बीच दो जगह रेलवे क्रासिंग पड़ता है। लंबी दूरी एवं रेलवे क्रासिंग के कारण सरकारी एंबुलेंस सूचना देने के बावजूद समय पर नहीं पहुंच पाता है। इससे आपातकाल वाले मरीज की मौत हो जाती थी। फतेहपुर की दूरी 15 किलोमीटर एवं टनकुप्पा की दूरी आन रोड 30 से 40 किलोमीटर हो जाता है। ग्रामीण जनता की सुविधा के लिए अपनी निजी वाहन को एंबुलेंस में तब्दील करायी हूं। बता दें कि सुरक्षित प्रसव कराने में मुखिया बनी पंचायत में सहायक शीर्षक से एक खबर दैनिक जागरण में दुर्गापूजा के अवसर नमो दैव्यै... कालम में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी। इस खबर से प्रभावित होकर अपने निजी वाहन को मुखिया ने एंबुलेंस में तब्दील कर जनता सेवा के लिए समर्पित की हैं।