Gaya News: माडल डीड से जमीन की खरीद-बिक्री की रफ्तार पड़ी धीमी, डीड राइटर से मिला छुटकारा, कई लोगों को जानकारी नहीं
अगर आप जमीन खरीदना और बिक्री करना चाह रहे हैं तो किसी डीड राइटर की जरूरत नहीं होगी। आप खुद जमीन खरीद और बिक्री की कागजात तैयार निबंधन करा सकते हैं। सरकार ने जमीन निबंधन कराने के लिए माडल डीड लागू की है। जानकारी अभी कई लोगों को नहीं है।
नीरज कुमार, गया: अगर आप जमीन खरीदना और बिक्री करना चाह रहे हैं, तो किसी डीड राइटर की जरूरत नहीं होगी। आप खुद जमीन खरीद और बिक्री की कागजात तैयार निबंधन करा सकते हैं। आम लोगों की सुविधा के लिए राज्य सरकार ने जमीन की निबंधन कराने के लिए माडल डीड लागू की है। लेकिन माडल डीड की जानकारी आम लोगों के बीच नहीं पहुंची है। इस माडल को लागू होने से गया में जमीन के खरीद-बिक्री की रफ्तार धीमी पड़ गई है।
हाईकोर्ट के आदेश पर डीड राइटर को अनुमति
पहले प्रत्येक दिन 150 से 200 जमीन का निबंधन होता था, लेकिन माडल आने से एक सौ का आंकड़ा पार करना मुश्किल हो रहा है। यह संयोग माने की माडल के साथ-साथ जमीन का निबंधन कराने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर डीड राइटर को अनुमति दी गई है। तब जाकर एक सौ का आंकड़ा पार करता है। विभाग ने प्रत्येक दिन माडल के तहत 75 और डीड राइटर का 25 निबंधन कराने का स्लाइड बुक होती है।
प्रत्येक दिन विभाग को राजस्व की हानि
लेकिन माडल के तहत 24 से अधिक कभी भी जमीन का निबंधन होता है। इस तरह प्रत्येक दिन विभाग को राजस्व की हानि हो रही है। जानकार बताते है कि राज्य सरकार का माडल डीड का प्रारूप बेहतर है, लेकिन इसका प्रचार-प्रसार की जरूरत है। चूंकि ग्रामीण क्षेत्र में जमीन मालिक निरक्षर है। वे खुद से अपना डीड तैयार नहीं कर सकते हैं। इसलिए पहले जरूरी है कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार कराए।
क्या है माडल
डीड निबंधन विभाग जमीन की खरीद और बिक्री के लिए प्रारूप का एक माडल आवेदन तैयार किया है। आवेदन निंबंधन कार्यालय में निश्शुल्क मिलता है। उस आवेदन को खुद जमीन मालिक को भरना है। जमीन की खरीद-बिक्री के प्रारूप में नाम, पता और रकवा बदलेगा। इसमें जमीन संबंधित जानकारी देना है। प्रारूप को भरवाने के लिए निबंधन कार्यालय में विभाग ने में आई हेल्प यू का काउंटर खोला है। गया के निबंधन कार्यालय में चार काउंटर खोले गए हैं। जहां पर एमटीएस के कर्मी जमीन के माडल को भरने में भू मालिक को मदद करते हैं। जमीन के साइड के अनुसार ई-चलान के माध्यम से पैसा जमा करना है। जमीन की निबंधन में स्टांप पेपर की भी जरूरत नहीं होगी।
खर्च से मिला छुटकारा मोहनपुर से रामइकबाल शर्मा का कहना है कि माडल डीड आने से नाजायज खर्च में कमी आई है। पहले जमीन का कागज बनाने के लिए डीड राइटर के भरोसे पर रहते थे। कागजात तैयार में काफी पैसा लगता था। माडल आने से डीड राइटर, ताइद, कर्मी एवं अन्य खर्च की बचत हुई है, इसकी बचत हुई है। लेकिन इस माडल की जानकारी बहुत हीं कम लोगों को है।
बोले पदाधिकारी
माडल डीड जनहित के लिए लाभकारी है। लेकिन इसमें अभी निबंधन कम हो रहा है। धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ेगा। माडल में खुद जमीन संबंधित जानकारी भरकर में आई हेल्प यू काउंटर पर सत्यापन कराने के उपरांत जमीन का निबंधन हो जाएगा। इसमें अब स्टांप पेपर की भी जरूरत नहीं होगी। इसी तरह की व्यवस्था जिला और अनुमंडल मुख्यालय में है। यह माडल पहले से लागू है। लेकिन अब बढ़ोतरी हो रही है। लखन कुमार, जिला अवर निबंधन पदाधिकारी, गया।
कहते हैं अधिकारी
जिला दस्तावेज नवीस संघ गया के मंत्री मुकेश आनंद ने कहा कि
माडल डीड लाने से डीड राइटर के साथ-साथ आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है। चूंकि गया में 257 लाइसेंसी डीड राइटर है। जो डीड बनाने का पुश्तैनी कार्य है। जो ग्रामीण क्षेत्र में निरक्षरों की संख्या अधिक है। वह प्रारूप नहीं भरपाते हैं। हाइकोर्ट के आदेश के बाद प्रत्येक दिन 25 डीड बनाने की अनुमति दी है। जो गलत है। जब खुद हीं सब कुछ करना है, तो भी विभाग डीड राइटर को लाइसेंस क्यों दी है? इस व्यवस्था से हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे।
दस दिनों में माडल डीड की संख्या, तिथि- लक्ष्य, माडल डीड की संख्या
20 सितंबर-- 75--24
21 सितंबर-- 75--22
22 सितंबर- 75-- 24
23 सितंबर--75-- 23
24 सितंबर-- 75-- 21
26 सितंबर-- 75-- 23
27 सितंबर-- 75-- 21