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बिहार सरकार पर नाराज तेलंगाना के पूर्व डीजीपी बोले- महापरिवर्तन आंदोलन से बदलेगी राज्‍य की तस्वीर

15 साल की सामाजिक न्याय की सरकार और 15 साल की सुशासन की सरकार ने बिहार को इस स्थिति में ला रखा है कि हम जाति धर्म के आधार पर लड़ रहे हैं। इससे हमारी मातृभूमि बिहार उपहास का पर्याय बन गई है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 01:48 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 01:48 PM (IST)
बिहार सरकार पर नाराज तेलंगाना के पूर्व डीजीपी बोले- महापरिवर्तन आंदोलन से बदलेगी राज्‍य की तस्वीर
अनुमंडलस्‍तरीय बैठक में शामिल तेलंगाना के पूर्व डीजी वीके सिंह। जागरण।

संवाद सहयोगी, मोहनियां (भभुआ)। जब भी समाज में संकीर्णता के आधार पर विघटन होता है और हम स्वार्थी और खुदगर्ज बनते हैं, तब तब मूल्यों का ह्रास होता है। इससे व्यवस्था टूटने लगती है। समाज में अराजकता पैदा होती है। हमें दर्द और दुख होता है। बिहार जैसे गौरवशाली राज्य की बदहाली से सभी लोग दुखी हैं। यह हमारे राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक पतन का प्रतीक है। यह बातें तेलंगाना के पूर्व डीजीपी वीके सिंह ने रविवार को डड़वां में अनुमंडल स्तरीय बैठक में कही।

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उन्होंने कहा कि 15 साल की सामाजिक न्याय की सरकार और 15 साल की सुशासन की सरकार ने बिहार को इस स्थिति में ला रखा है कि हम जाति, धर्म के आधार पर लड़ रहे हैं। इससे हमारी मातृभूमि बिहार उपहास का पर्याय बन गई है। आज सम्राट अशोक का बिहार देश के पूरे 28 राज्यों में हर क्षेत्र में सबसे निचले पायदान पर है। हमें अपने भाग्य का निर्माता स्वयं बनना होगा। अगर भारत को महाशक्ति बनना है तो बिहार को महाशक्ति बनाना ही होगा। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि जो जितना ऊंचा समृद्ध एवं शक्तिशाली होता है उतना ही स्वार्थी होता है। इसलिए परिवर्तन एवं निर्माण की मशाल गांव वालों को ही जलानी होगी। आज सबसे बुरी स्थिति गांव वालों की ही है। यह कोई कठिन कार्य नहीं है। इसलिए उन्होंने पांच सूत्रों का रास्ता सुझाया है। इन रास्तों  पर चलकर बिहार में जो परिवर्तन होगा वह आने वाली पीढ़ियां देखेंगी।

जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के जरिए पूरे देश में प्रजातंत्र की रक्षा की थी। आज 45 साल बाद प्रजातांत्रिक पद्धति एवं प्रशासन की रक्षा के लिए हमें जगने की जरूरत है। बिहार में कोई जातिवाद नहीं है। यहां विशुद्ध स्वार्थ वाद है। जहां सभी राजनेता, अधिकारी एवं अपराधी अपनी अपनी जातियों का शोषण कर रहे हैं। आज बिहार की बदहाली के लिए जनता सीधे जिम्मेवार है। उन्होंने तेलंगाना सरकार के कुशासन के विरुद्ध भी आवाज बुलंद किया था। सरकार के मनमाने पन का विरोध किया। इसके बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर बिहार में सामाजिक क्रांति लाने का बीड़ा उठाया है। इस सामाजिक क्रांति और महा परिवर्तन आंदोलन का उद्देश्य बिहार को गरीबी,जलालत एवं बदहाली से निकालना है। हमें विवाद हीन समाज बनाना होगा। सभी विवादों को आपस में  सुलझाना है। इससे कानून व्यवस्था होगी। शिक्षा के स्तर को सुधारना होगा। बिहार के सभी स्कूल एवं कालेज बदहाल हैं।भारत में सबसे ज्यादा अशिक्षितों  की संख्या इस सुशासित बिहार में है। हमें ग्रामीण स्तर पर शिक्षा के स्तर में सुधार करना होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि हमारे राष्ट्र की समस्या का अगर कोई समाधान है तो वह है शिक्षा। स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करना होगा। राज्य के हर अस्पतालों की स्थिति बदतर है।

हमें स्वस्थ रहने के लिए हर गांव में हर महीने स्वच्छता अभियान एवं वृक्षारोपण का कार्यक्रम चलाना होगा। हर गांव एवं घर को इतना स्वच्छ बनाना है कि वह रिसोर्ट से अच्छा दिखे। हमें ईमानदार प्रतिनिधि का चुनाव करना जरूरी है। सरकार चाहे कोई बनाए पर उम्मीदवार ईमानदार एवं स्वच्छ छवि का हो। अगर ऐसा नहीं है तो उसे हराया जाए। भ्रष्टाचार का पुरजोर विरोध होना चाहिए। इसके लिए हर गांव में एकमत होकर जाति धर्म एवं लिंगभेद से ऊपर उठकर ग्राम विकास समिति का गठन होना चाहिए। जो इन पांच सूत्रों के अनुपालन के लिए उत्तरदायी हो। इसमें ग्राम के पूर्व मुखिया पूर्व ग्राम पंचायत सदस्य एवं गांव के प्रतिष्ठित एवं सम्मानित व्यक्ति सदस्य रह सकते हैं। हमें सभी को एक साथ लेकर काम करना होगा ताकि हम एक नए बिहार के नए भविष्य का निर्माण कर सकें।


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