बिहार के पूर्व डीजीपी बोले, मगधी में ही बुद्ध और महावीर ने दिया था उपदेश, सरकार कर रही इसकी उपेक्षा
विश्व मगही परिषद की ओर से अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 54 वां कार्यक्रम आनलाइन आयोजित किया गया। परिषद के अध्यक्ष डा. भरत सिंह की अध्यक्षता और परिषद के महासचिव प्रोफेसर नागेंद्र नारायण शर्मा के संचालन में तीन घंटे से अधिक समय तक कार्यक्रम चला।
वारिसलीगंज (नवादा), संवाद सूत्र। विश्व मगही परिषद की ओर से अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 54 वां कार्यक्रम आनलाइन आयोजित किया गया। परिषद के अध्यक्ष डा. भरत सिंह की अध्यक्षता और परिषद के महासचिव प्रोफेसर नागेंद्र नारायण शर्मा के संचालन में तीन घंटे से अधिक समय तक कार्यक्रम चला। वेबिनार में साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर और अमेरिका से जुड़े प्रो रामनंदन सिंह को सम्मानित किया गया। मगही भाषा के पुराने दिन लौटाने के लिए उपस्थित वक्ताओं ने कई सुझाव दिए। मुख्य अतिथि बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा कि मगध की धरती पूरे विश्व को सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाने वाली रही है। यहां की पवित्र भूमि से गौतम बुद्ध और भगवान महावीर के उपदेश की भाषा मगही रही है। मगध सम्राट अशोक के राजकाज की भाषा भी मगही रही है। बावजूद आज मगही सरकार की उपेक्षा का शिकार है। हम मगध वासियों को एकजुट होकर अपनी मातृभाषा की पुरानी गरिमा दिलाने के लिए कार्य करने की जरूरत है।
घर में हिंदी की जगह बोलें मगही भाषा
साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर के छोटे पुत्र भारतीय रेल सेवा के वरिष्ठ अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि मगही हमारी मातृभाषा है। हम मगधवासी अपने घरों में हिंदी के बजाय मगही भाषा में बातचीत करें। इससे बच्चों में मगही बोलने की आदत पड़ेगी। उन्होंने कहा की मातृभाषा के विकास के लिए जहां मेरी जरूरत होगी सदैव तैयार रहूंगा। कहा कि मेरे पिताजी 80 वर्ष के होने को हैं। आज तक कभी जन्मदिन नहीं मनाया गया था। लेकिन अथाह खुशी हो रही है कि विश्व मगही परिषद की ओर से पिता जी का जन्मदिन मनाया जा रहा है। मौके पर मगही गायक विनय कुमार विकल की ओर से श्री रत्नाकर के जन्मदिन से जुड़े मगही गीत गाकर कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं को भाव विभोर कर दिया।
पटना विश्वविद्यालय में मगही विभाग खोलने की उठी मांग
मगध क्षेत्र में पड़ने वाले पटना विश्वविद्यालय में मगही विभाग नहीं होने पर उपस्थित वक्ताओं ने चिंता व्यक्त किया। प्रो अलखदेव नारायण शर्मा ने कहा कि पटना मगध की राजधानी रही है। आज भी संपूर्ण पटना की भाषा मगही है। किन्तु सरकार की अपेक्षा के कारण पटना स्थित किसी भी विश्वविद्यालय में मगही विभाग की स्थापना नहीं हुई है। यह चिंतनीय विषय है। मगही को साहित्य अकादमी की भाषा बनाने की जरुरत है। मगही को शिक्षा की भाषा बनानी है। इसके लिए एकजुट होकर आंदोलन को गति देने की आवश्यकता है। वहीं प्रोफेसर नागेंद्र नारायण शर्मा ने कहा कि मगही भाषा को पुनः स्थापित करने के लिए विश्व मगही परिषद कटिबद्ध है। कार्यक्रम में राजेश मंझवेकर, अशोक प्रियदर्शी, उपेन्द्र प्रेमी, प्रवीण बटोही ,कौशल किशोर,अर्पण कुमारी आदि शामिल हुए।