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पितृपक्ष में पूर्वजों को मोक्ष दिलाने विदेशी श्रद्धालु भी पहुंचे गया

देश के कोने-कोने के अलावे विदेशी लोग भी अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए गया पहुंचे हैं। उन्होंने भी अपने पितरों का पिंडदान किया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 08 Sep 2017 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 08 Sep 2017 11:37 PM (IST)
पितृपक्ष में पूर्वजों को मोक्ष दिलाने विदेशी श्रद्धालु भी पहुंचे गया
पितृपक्ष में पूर्वजों को मोक्ष दिलाने विदेशी श्रद्धालु भी पहुंचे गया

गया [जेएनएन]। भारत की सनातन परंपरा विदेशियों को खींच लाई है। पूर्वजों को मोक्ष दिलाने वे भी यहां की पवित्र धरती पर आ रहे हैं। विदेशियों का एक जत्था गुरुवार को गया जी पहुंचा। सभी ने भारतीय वेशभूषा में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुक्रवार को कर्मकांड किया।

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जत्थे में रूस, जर्मनी आदि देश के लोग हैं, जिनका स्वागत गया जंक्शन पर प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी ऋचि पांडेय ने किया। 19 विदेशी नागरिक नई दिल्ली से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से यहां पहुंचे। टीम का नेतृत्व लोकनाथ गौड़ कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ये लोग भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित हैं। सभी ने गया जी पहुंचने के बाद पावन भूमि को नमन किया। पितृपक्ष में वे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व कर्मकांड कर रहे हैं।

जत्थे में रूस से टीटोवा मैरिना, शेरेंदो इकातेरी, सामिया डेहरडे, जुलकारिनिवा जुल्फ व इप्रेनटेसेवा यालिया, जर्मनी से युगेनिया क्रेंच, अन्ना बारोन, फिलकोवा इरीना और सेरगिरवा इरीना, माले से क्रियूको एलेक्सैंट, क्यूकोवा टेटालिया, क्रूरकिना इरीना एवं ज्ञेमचिकहिना मॉरी, लक्ष्मी नारायण कौर, ज्वाइंट पैनी, लक्ष्मण सिंह, छैगोतेरीवा, गोलिनोवा विक्टर, सिमेंटेस केसीनूए और स्पेन की डारिया आदि हैं।

उन्‍होंने शुक्रवार को मोक्षदायिनी फल्गु नदी में तर्पण अर्पण करने के बाद देवघाट पर पिंडदान किया। वे दूसरे दिन शनिवार को पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और रविवार को अक्षयवट में कर्मकांड करेंगे। उसके बाद सभी नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। 


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