फूल खिले पर लॉकडाउन के कारण किसानों के चेहरे मुरझाए
फोटो- 31 -खेत में ही सूख गए गेंदे के फूल फसल को उजाड़ कर उड़द की लगाई फसल ------------- -मंदिर बंद शादी या फिर अन्य समारोह पर रोक से नहीं हुई फूलों की बिक्री -हजारों रुपये कमाने वाले किसान आज पाई पाई को मोहताज --------- -25 हजार की लागत से डेढ़ एकड़ में लगाई थी फूलों की फसल -01 लाख 40 हजार रुपये मुनाफा कमाए पिछले साल दो बार फसल लगाकर -------------
राकेश कुमार, बेलागंज
फूल खिलने के साथ ही किसानों के भी चेहरे खिल उठते थे, लेकिन लॉकडाउन ने सबको मुरझा दिया। कोरोना काल में मंदिर बंद हैं और शादी या फिर अन्य समारोह पर पूर्ण रूप से रोक है। ऐसे में फूल की बिक्री नहीं हो रही है। फूल खेत में ही सूख गए और फिर किसानों उसे उजाड़कर उड़द की फसल लगाई। फूल से हजारों कमाने वाले किसान आज पाई पाई को मोहताज हैं। आलम यह है कि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
गया-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाईबिगहा डीह गाव के पास पहुंचते ही क्यारियों में लगे गेंदे के फूल देखकर मन आनंदित हो उठता था। बड़े भूभाग पर किसान फूलों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाते थे।
पाईबिगहा डीह निवासी विनय मालाकार और राम ईश्वर भगत कहते हैं, माली जाति के होने के कारण हमें सालभर फूलों की जरूरत होती है। पहले किसी भी कार्य के लिए फूल बाजार से खरीदना पड़ता था। इसमें नुकसान हो जाता था। एक बार छोटे भाई विनय से सहमति बनाकर फूल की खेती करने का मन बनाया। दोनों भाई तन्मयता से लग गए। दो वर्षो से गाव के बड़े किसानों से पट्टे पर खेत लेकर फूल की खेती करते हैं। पिछले साल डेढ़ एकड़ में फूल की खेती में तीस-बत्तीस हजार लागत आई थी, जबकि फूल बेचकर साठ-पैंसठ हजार का मुनाफा हुआ था। साल में दो बार फूलों की फसल लगाकर एक लाख 40 हजार रुपये मुनाफा कमाए थे। दोनों भाइयों के परिवारो का गुजारा भी बढि़या से हो जाता था। इस बार वैश्रि्वक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी। लगभग 25 हजार की लागत से डेढ़ एकड़ में फूलों की फसल लगाई थी। लॉकडाउन के कारण फूलों की बिक्री नहीं हुई। ऐसे में पट्टेदार किसानों का कर्ज देना भी मुश्किल लगने लगा है। फूलों की फसल को उजाड़ कर उड़द की फसल लगानी पड़ी।
उन्होंने कहा कि सरकार को माली के लिए भी सरकारी अनुदान देना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके।
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जहानाबाद के व्यवसायी
भी खरीदकर ले जाते थे फूल
राम ईश्वर मालाकार कहते हैं, पाईबिगहा, मखदुमपुर व जहानाबाद जिला मुख्यालय के छोटे-छोटे व्यवसायी फूल खरीदकर ले जाते थे। इनका फूल कोटेश्वर धाम, काली मंदिर से लेकर वाणावर तक जाता था। इस बार सब कुछ चौपट हो गया।