Move to Jagran APP

रोहतास में मूंग की खेती कर किसान हो रहे खुशहाल, इन प्रखंडों में बड़े पैमाने पर खेती, सरकारी स्तर पर मिले बीज कम उगने से नुकसान

दलहन की खेती के मामले में जिले के 90 फीसदी दलहन की खेती अनुमंडल के तीन प्रखंड नौहट्टा रोहतास और तिलौथू प्रखंड में होती है। व्यापारी इन क्षेत्रों से मूंग कोलकत्ता हजारीबागधनबाद समेत अन्य शहरों में बिक्री के लिए यहां से क्रय कर ले जाते है।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 11:56 AM (IST)
रोहतास में मूंग की खेती कर किसान हो रहे खुशहाल, इन प्रखंडों में बड़े पैमाने पर खेती, सरकारी स्तर पर मिले बीज कम उगने से नुकसान
मूंग की खेती करता किसान, जागरण आर्काइव

 संवाद सहयोगी, डेहरी आन-सोन: रोहतास। जिले के दक्षिणी भाग के किसान मूंग की खेती कर खुशहाल होते रहे हैं। हालांकि इसबार सरकारी स्तर पर मिले मूंग के बीज सही नहींं मिल पाने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। बीज में सही अंकुरण नहीं आने से अधिकतर किसानों को दोबारा बोआई करनी पड़ी है।

loksabha election banner

दलहन की खेती के मामले में जिले के 90 फीसदी दलहन की खेती अनुमंडल के तीन प्रखंड नौहट्टा, रोहतास और तिलौथू प्रखंड में होती है। व्यापारी इन क्षेत्रों से मूंग कोलकत्ता, हजारीबाग,धनबाद समेत अन्य शहरों में बिक्री के लिए यहां से क्रय कर ले जाते है। 

आंकड़ों की माने तो जिले में कुल 7737 हेक्टेयर भूमि में दलहन की खेती की जाती है, जिसमे केवल नौहट्टा, रोहतास, और तिलौथू प्रखंड में 7510.2 हेक्टेयर में दलहन की खेती होती है। शेष प्रखंडो में मात्र 226.8 हेक्टेयर भूमि में ही दलहन की खेती की जाती है। 

इन प्रखंडों में धान और गेहूं के साथ साथ मूंग की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है, परंतु सिंचाई व्यवस्था विद्युत और प्रकृति पर आधारित होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मूंग नगदी फसल मानी जाती है। कई बार सरकारी स्तर पर मूंग का सही बीज उपलब्ध नहीं कराने के चलते किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है।

इसबार प्रखंड कार्यालय से वितरण होने वाले मूंग के बीज सही नही रहने के कारण पैदावार में भारी कमी आई है। यहां तक कि सरकारी बीज की बोआई करने से अधिकांश बीज उगे ही नही और अधिकांश किसानों को दुकानों से बीज खरीद दोबारा बोआई करने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। मात्र 90 दिनों में मूंग की फसल की तोड़ाई हो जाती है। किसानों का मानना है कि एक बीघे में अच्छी फसल उगने और मौसम साथ देने पर दो क्विंटल तक मूंग की उपज होती है। वर्तमान में 7000 रुपए क्विंटल मूंग की बिक्री हो रही है।

कहते हैं किसान:

अगर किसानों को बेहतर सरकारी सुविधा मिले, तो किसान मूंग की खेती को बड़े पैमाने पर व्यवसायिक रूप दे सकते है। मूंग की खेती कर खुशहाल जीवन जिया जा सकता है।

दिनेश यादव, किसान, कमालखैरवा, नौहट्टा 

इस बार के सरकारी बीज और मौसम दोनों ही ने साथ नही दिया।इसलिए फसल थोड़ा कमजोर है। धान गेहूं से निकले समय में मूंग की फसल उगाई जाता है। कई किसान तो इसकी खेती व्यवसायिक रूप में करते है और वर्ष मे लाखों कमाते भी हैं।

रविकांत पांडेय, किसान, बांदु 

प्रखंड स्तर पर वितरण किए गए अधिकांश बीज उगे ही नही। वैसे मूंग नकदी फसल होने के कारण लाभ तो मिला है। इसे और बेहतर कैसे किया जाए, इसके लिए किसानों को फसल से पूर्व प्रशिक्षण मिलना चाहिए।

रामजी महतो, बलतुआ

कहते हैं अधिकारी:

एलो मोजैक रोग लगे बीज होने के कारण अंकुरण में समस्या आने की आशंका जाहिर की जा रही है। इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दी गई है। साथ ही पीड़ित किसानों से आवेदन लिए जा रहे हैं, ताकि जांच कर क्षतिपूर्ति के लिए वरीय अधिकारी को अवगत कराया जा सके।विजय कुमार गुप्ता, नोडल कृषि समन्वयक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.