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देश के कई प्रदेशों में फल-फूल रहा बिहार के मगध विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री का धंधा

हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग से प्राप्त आवेदन के आलोक में निगरानी की एक टीम मविवि मुख्यालय पहुंची। जो 12 फर्जी डिग्री का सत्यापन करने पहुंची थी। विवि के परीक्षा नियंत्रक डा. भृगुनाथ ने डॉक्‍यूमेंट्स देखते ही कहा कि फर्जी हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:21 AM (IST)
बिहार के बोधगया स्थित मगध विश्‍वविद्यालय की तस्‍वीर।

बोधगया, जागरण संवाददाता। मगध विश्वविद्यालय की छवि धूमिल करने की कवायद 90 के दशक में उत्तरी राज्यों तक सीमित था। जब उत्तर भारत में फर्जी डिग्री का गिरोह शिथिल पड़ा तो उसके बाद दक्षिण के राज्यों में फर्जी डिग्री का गिरोह सक्रिय हो गया था। इस बात का खुलासा विवि मुख्यालय में जब डिग्री सत्यापन का विभिन्न विभागों से आवेदन प्राप्त होता है। आवेदन के संलग्न प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया में ही फर्जी प्रतीत होता है। चाहे वो छात्र का अंक पत्र हो या फिर मूल प्रमाण पत्र।

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12 फर्जी डिग्री का सत्यापन कराने पहुंची टीम

बताया गया कि ऐसे ही फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर लोग उत्तर और दक्षिण के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हो जाते हैं। शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग से प्राप्त आवेदन के आलोक में निगरानी की एक टीम मविवि मुख्यालय पहुंची। जो 12 फर्जी डिग्री का सत्यापन करने पहुंची थी। लंबे अरसे बाद विवि पहुंची दूसरे राज्य की निगरानी टीम ने विवि के परीक्षा नियंत्रक से मिलकर सत्यापन हेतु दस्तावेज सौंपे। दस्तावेज देखते ही परीक्षा नियंत्रक डा. भृगुनाथ ने कहा कि फर्जी हैं।

फर्जी डिग्री के आधार पर कार्यरत हैं

सभी के अंक पत्र व मूल प्रमाण पत्र फर्जी होने संबंधी रिपोर्ट वर्ष 2004 में ही तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक द्वारा हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग को विवि द्वारा पत्र प्रेषित किया गया था। इस पर निगरानी टीम के सदस्यों ने पुन: एक विवि स्तर से पत्र मुहैया कराने की बात कही। जिसे शनिवार को उपलब्ध करा दिया गया। विवि परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि फर्जी डिग्री प्राप्त करने वाले 12 छात्र शिक्षा विभाग में वर्ष 2004 के पहले से ही कार्यरत हैं। सभी के अंक पत्र व प्रमाण पत्र फर्जी होने का पत्र प्राप्त होने के बाद निगरानी की टीम वापस लौट गई।


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