Ex CM मांझी के गांव में बन गया चकाचक स्कूल पर नहीं हुई गुरुजी की नियुक्ति, सात किमी दूर है शिक्षा मंत्री का घर
School in CM Village पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और वर्तमान लघु संसाधन मंत्री सन्तोष कुमार सुमन के पैतृक गांव में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय महकार में शिक्षकों की कमी से छात्रों को पढ़ाई में काफी समस्या हो रही है।
गया, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और वर्तमान लघु संसाधन मंत्री सन्तोष कुमार सुमन के पैतृक गांव में स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय महकार में शिक्षकों की कमी से छात्रों को पढ़ाई में काफी समस्या हो रही है। मालूम हो कि उच्च माध्यमिक विद्यालय महकार में एक भी शिक्षक की पोस्टिंग नही हुई है। विद्यालय के संचालन के लिए मात्र 3 शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर महकार में भेजा गया है।
इस स्कूल में हो चुका है 632 छात्रों का नामांकन
रामप्यारी उच्च विद्यालय चिरैली से शिक्षक अजित प्रसाद, मोहम्मद आलम और जनता उच्च विद्यालय करपी से संतोष कुमार सुमन को प्रतिनियुक्ति पर विद्यालय में भेजा गया है। विद्यालय में 632 छात्रों का नामांकन हो चुका है। जिसमें से 334 छात्र और 298 छात्राओं का नामांकन हुआ है। प्रभारी प्रधानाध्यापक अजित प्रसाद बताते है कि बड़ी संख्या में लड़कियों के नामांकन होने के बाबजूद महिला शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति या पोस्टिंग नही होने से शिक्षकों को काफी समस्या से जूझना पड़ता है।
अशोक चौधरी का पैतृक आवास मात्र सात किमी दूर
गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी का पैतृक घर भी इस विद्यालय से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुड़वा बाजार में हैं। नौवीं कक्षा से लेकर बारहवी कक्षा तक कि पढ़ाई मात्र एक वर्ग कक्षा में होती है।कारण है शिक्षकों की संख्या में कमी होना। जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्रीत्व काल मे आननफानन में अधिकारियों ने विद्यालय भवन निर्माण करा दिया पर इस विद्यालय में सिर्फ प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों को भेजा गया।सत्ता बदलने के बाद धीरे धीरे अन्य कई शिक्षकों को यहाँ से हटाकर अन्यत्र भेज दिया गया। आलम यह है कि काफी प्रयास के बाद भी शिक्षक छात्रों की ज्यादा संख्या के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में सफल नही हो पा रहे हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक अजित प्रसाद ने बताया किशिक्षकों की कमी के संदर्भ में जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर जानकारी दे दी गयी है। स्थानीय निवासी राकेश सिंह ने बताया कि मांझी जी के प्रयास से उच्च माध्यमिक विद्यालय तो खुला पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज भी प्राइवेट टयूशन के सहारे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं।