कोरोना से निपटने को जिले में बनें आठ आक्सीजन प्लांट, जयप्रकाश नारायण अस्पताल में एक भी तकनीशियन नहीं
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में सर्वाधिक तीन प्लांट बने हैं। वहीं जयप्रकाश नारायण अस्पताल गया प्रभावती महिला अस्पताल गया टिकारी शेरघाटी अनुमंडलीय अस्पताल के अलावा बोधगया में एक-एक प्लांट बने हैं। मगध मेडिकल में तीन अलग-अलग क्षमता के प्लांट बने हैं। जानिये पूरी बात...
जागरण संवाददाता, गया: कोरोना आपदा से निपटने के लिए जिले में अब तक आठ आक्सीजन प्लांट बने हैं। अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल में सर्वाधिक तीन प्लांट बने हैं। वहीं जयप्रकाश नारायण अस्पताल गया, प्रभावती महिला अस्पताल गया, टिकारी, शेरघाटी अनुमंडलीय अस्पताल के अलावा बोधगया में एक-एक प्लांट बने हैं। मगध मेडिकल में तीन अलग-अलग क्षमता के प्लांट बने हैं। 300 एलपीएम, 25,00 एलपीएम लिक्विड आक्सीजन प्लांट व 20 हजार केएलडी क्रायोजेनिक प्लांट यहां है।
जेपीएन में 1000 एलपीएम क्षमता का प्लांट
जिले में आक्सीजन प्लांट के अनुरूप कई जगहों पर अब तक तकनीशियन की व्यवस्था नहीं की गई है। जेपीएन में 1000 एलपीएम क्षमता का प्लांट है। लेकिन यहां कोई भी तकनीशियन नहीं है। अस्पताल प्रबंधक संजय कुमार अंबष्ट ने कहा कि अस्पताल के ओटी असिस्टेंट से ही फिलहाल काम लिया जा रहा है। मेडिकल अस्पताल के तीन प्लांट की देखरेख के लिए आठ तकनीशियन की पदस्थापना हुई है। अस्पताल अधीक्षक डा. प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि दो तकनीशियन सरकार की ओर से दिए गए हैं। जबकि शेष आउट सोर्सिंग से भी ली गई है।
10 तकनीशियन में छह मिले, जेनरेटर खरीद प्रक्रिया में
सिविल सर्जन के अधीन संचालित होने वाले अस्पतालों में बने पांच आक्सीजन प्लांट के लिए छह तकनीशियन मिले हैं। जबकि कम से कम 10 तकनीशियन की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम निलेश कुमार ने कहा कि जिले में अभी तत्काल 10 तकनीशियन की जरूरत है। इनमें छह मिले हैं। अस्पताल के दूसरे कर्मियों को भी प्लांट चलाने के बारे में ट्रेनिंग दी गई है। सभी जगहों पर जेनरेटर खरीद के लिए टेंडर की प्रक्रिया की जा रही है। आक्सीजन प्लांट की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में कंसंट्रेटर, बाइपेप दिए गए हैं। आक्सीजन सिलिंडर भी उपलब्ध कराया गया है।
प्रभावती के प्लांट में पैनल लगना बाकी
जेनरेटर भी होना जरूरी
प्रभावती अस्पताल में आक्सीजन प्लांट बना है। लेकिन इसके संचालन के लिए पैनल लगना अभी बाकी है। वहीं प्लांट को चलाने के लिए विकल्प के रूप में जेनरेटर की जरूरत है। अस्पताल प्रबंधक विमलेश कुमार ने बताया कि 250 केवीए का जेनरेटर होना जरूरी है। अभी अस्पताल का जो जेनरेटर है उससे वार्ड व परिसर में लाइन दिया जाता है। उसकी क्षमता उतनी नहीं है कि उससे प्लांट भी चल सकेगा। जेनरेटर के लिए बीएमआईसीएल को पत्र दिया गया है।