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Durga Puja Pandal: डेहरी के पाली रोड के मां दुर्गा पूजा पंडाल में दिखेगा दक्षिण भारत के मंदिरों का नजारा

1967 में पाली रेलवे गुमटी स्थित दुर्गा मंदिर की स्थापना स्व. मुखा चौधरी बद्री सिंह यादव रामानंद सिंह यादव व भरत सिंह ने मोहल्ला वासियों के सहयोग से दो हजार रुपये चंदा जुटाकर की थी। समय के साथ यहां पूजा भव्‍य होता गया ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 04:22 PM (IST)
सात अक्‍टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्र, सांकेतिक तस्‍वीर।

डेहरी आनसोन (रोहतास), संवाद सहयोगी। स्थानीय पाली रोड रेलवे गुमटी के समीप प्राचीन मां शोणाक्षी देवी मंदिर परिसर में हर वर्ष धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। काली कला मंदिर पाली द्वारा निर्मित पूजा स्थल पर बने पंडाल को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ होती है। पूजा कमेटी के अनुसार इस वर्ष यहां के पंडाल में दक्षिण भारत के मंदिरों की छवि देखने को मिलेगी। गत वर्ष कोरोना को लेकर सीमित व्यवस्था में पूजा हुई थी। इस वर्ष स्थिति सामान्य होने के चलते पंडाल बनाने की छूट मिली है, लेकिन सरकार की गाइड लाइन के अनुसार ही सभी कार्यक्रम संपन्न होंगे।   

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पंडाल का इतिहास :

1967 में पाली रेलवे गुमटी स्थित दुर्गा मंदिर की स्थापना स्थानीय निवासी स्व. मुखा चौधरी, बद्री सिंह यादव, रामानंद सिंह यादव व भरत सिंह ने मोहल्ला वासियों के सहयोग से दो हजार रुपये चंदा जुटाकर की थी। पूजा समिति के सदस्यों ने तिरपाल डालकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना शुरू की थी। समय के साथ अब यहां भव्‍य पंडाल बनाया जाने लगा है। पंडाल व मूर्ति निर्माण के लिए इस बार झारखंड के जामताड़ा के कारीगर अजमल मियां की सात सदस्यीय टीम लगी है।

इस वर्ष का आकर्षण :

पंडाल का प्रारूप हमेशा से ही मंदिर के नक्शे पर आधारित रहा है। वेब लाइटिंग व आकर्षक सजावट से पूरे क्षेत्र को सजाया जा रहा है। मां दुर्गा की भव्य व आकर्षक प्रतिमा बनाई जा रही है। इसके अलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी पंडाल में स्थापित की जाएंगी। पूजा के दौरान हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की जाएगी। पूरा कार्यक्रम सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन के अनुसार ही होगा।

कहते हैं कमेटी के सदस्य :

अध्‍यक्ष जय कुमार सिंह ने कहा कि इस बार काली कला मंदिर पाली द्वारा यहां दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। मूर्ति निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है, जो नियत समय पर पूर्ण हो जाएगा। जामताड़ा से बुलाए गए कारीगर दिन रात लगे हुए हैं। यहां पंडाल के साथ मंदिर का भी भव्य सजावट किया जा रहा है।

सचिव तपेश्‍वर सिंह ने कहा कि काली कला मंदिर कमेटी की खासियत है कि परंपरा के अनुसार यहां सारा आयोजन होता है। पूर्व में जिस तरह से पूजन का कार्य शुरू हुआ था, उसी तरह हर वर्ष किया जाता है। पारंपरिक तरीके से प्रत्येक दिन पूजन कार्यक्रम संपन्न होगा तथा श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जाएगा।

कोषाध्‍यक्ष देव कुमार चौधरी ने बताया कि

पूजा समिति के सदस्य आयोजन को भव्य रूप देने की तैयारी कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बाद गत वर्ष प्रशासन की ओर से भव्य आयोजन पर रोक लगा दी गई थी। इसके चलते छोटे स्तर पर पूजा का आयोजन किया गया था। इस वर्ष पूजा का आयोजन को भव्य रूप किया जा रहा है।

सदस्‍य देवराज चौधरी का कहना है कि पंडाल से लेकर सड़क तक लाइट की व्यवस्था की गई है। अनुमंडल प्रशासन  द्वारा दिए गए कोविड-19 के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाएगा। पुरुष व महिलाओं के लिए अलग-अलग रास्ता रहेगा। कमेटी के सदस्य सड़क से लेकर पंडाल तक भक्तों की सेवा में लगे रहेंगे।


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