गदालोल सरोवर में गिर रहे गंदे नाले, पानी प्रदूषित
गया । गया तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता था। दो दशक पहले तक कई तालाब थे। भू-माफियाओं ने धीरे-धीर
गया । गया तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता था। दो दशक पहले तक कई तालाब थे। भू-माफियाओं ने धीरे-धीरे कई तालाबों को अतिक्रमण कर बेच डाला। वर्तमान में काफी कम तालाब बचे हैं, जिनकी भी दुर्दशा देखी नहीं जा सकती। समय रहते योजना बनाकर कार्य नहीं किए गए तो इनका अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।
आज हम बात कर रहे हैं शहर के दक्षिण दिशा में वार्ड संख्या 44 मे स्थित गदालोल सरोवर की। सरोवर में तीन दशक पहले पिडदानी तर्पण अर्पण करते थे। अतिक्रमण और फिर गंदे नाले गिरने से तालाब का पानी प्रदूषित हो गया। आज कर्मकांड करने कोई पिंडदानी नहीं आते हैं। आधा से अधिक भाग पर अतिक्रमण 50 से अधिक मकान बना लिए गए। अतिक्रमण का सिलसिला अभी रुका नहीं है।
वार्ड निवासी दिलीप यादव कहते हैं, सरोवर पांच एकड़ 62 डिसमिल में फैला हुआ था। अब सिमट कर तीन एकड़ रह गया है। शेष बचे सरोवर पर अतिक्रमण जारी है। जिला प्रशासन और नगर निगम ने कार्रवाई नहीं की तो सरोवर का नामोनिशान मिट जाएगा। सरोवर के आसपास गंदगी के ढेर लगे हैं।
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सरोवर में गिरा दिए गंदे नाले
नगर निगम ने कई मोहल्ले से निकलने वाले नाले को सरोवर में लाकर गिरा दिया है। शहर के खजुरा टोला, रुक्मिणी, माड़नपुर आदि मोहल्ले से निकले नाले सरोवर में गिर रहे हैं। इसके कारण पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो गया।
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सनातन धर्म में सरोवर
का काफी है महत्व
सनातन धर्म में सरोवर का काफी महत्व है। गयापाल पुरोहित कहते हैं, सरोवर का धार्मिक महत्व काफी है। भगवान श्रीहरि विष्णु ने हेली दानव का वध कर अपना गदा इस सरोवर में धोए थे। इसी कारण से इसका नाम गदालोल है। तीर्थ स्थल बनने के कारण सरोवर के पास कर्मकांड होता था। अतिक्रमण और गंदगी के कारण सरोवर पर अब पिंडदान बंद हो गया। उन्होंने गदालोल स्थल का जिक्र कर्मकांड अक्षयवट में होता है।
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अतिक्रमण रोकने के लिए नगर निगम की बैठक में कई बार आवाज उठाई गई। साथ ही सरोवर के सुंदरीकरण को लेकर मंत्री डॉ. प्रेम कुमार के समक्ष भी प्रस्ताव रखा गया। बावजूद इसके कोई कार्य नहीं हुए। प्रत्येक दिन सरोवर अतिक्रमण का भेंट चढ़ रहा है। समय रहते जिला प्रशासन और नगर निगम नहीं चेता सरोवर पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
संगीता देवी, वार्ड पार्षद