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गया में एनजीटी की रोक के बाद भी बिक रहे पटाखे, कारोबारी असमंजस में

गया। दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है बाजार में ग्राहकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। वहीं एनजीटी की रोक के बावजूद गया शहर में धड़ल्ले से पटाखे बिक रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 10:45 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 10:45 PM (IST)
गया में एनजीटी की रोक के बाद भी बिक रहे पटाखे, कारोबारी असमंजस में

गया। दीपावली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, बाजार में ग्राहकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। दीपावली को लेकर लोग खरीदारी कर रहे है। वहीं पटाखे की भी बिक्री खूब हो रही है। पटाखे की बिक्री में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)के आदेश पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने शहर में दीपावली में पटाखें की बिक्री व प्रयोग पर लगा दिया है। ऐसे में पटाखा के थोक एवं खुदरा कारोबारी असमंजस में है। केपी रोड के पटाखे के थोक कारोबारी मो. चांद ने कहा कि एनजीटी के आदेश से कारोबारी असमंजस में हैं। पिछले साल भी कोरोना ने कारोबार को चौपट कर दिया था। रोक से कई करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा। मंडी में ग्रीन पटाखे ही उपलब्ध हैं। सभी पटाखे अब पर्यावरण के अनुकूल ही तैयार किए जा रहे हैं। एक सप्ताह पहले से बिकने लगता है पटाखा :

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शहर में एक दीपावली के एक सप्ताह पहले से पटाखा बिकने लगता है। पटाखे का कारोबार दीपावली में करीब दस करोड़ रुपये का होता है। प्रत्येक दीपावली पर अस्थायी लाइसेंस पटाखा बेचने के लिए दिया जाता है। इसके आधार पर अग्निशमन कार्यालय में 35 आवेदन आया है। आवेदन का जांच किया जा रहा है। अग्निशमन पदाधिकारी अरविद प्रसाद ने कहा कि अस्थायी लाइसेंस के लिए स्थल की जांच की जा रही है। जांच के बाद आवेदन को जिलाधिकारी कार्यालय भेज दिया जाएगा। पटाखे की आपूर्ति में काफी कमी :

दुकानदारों को कहना है कि आपूर्ति काफी कम रहा है, क्योंकि अधिकांश पटाखों का निर्माण शिवकाशी में होता है। पटाखे को लेकर दो महीने पहले आर्डर दिया गया है। उसके बाद भी पटाखें की आपूर्ति काफी कम रहा है। कोरोना के कारण कई फैक्ट्री शिवकाशी में बंद हो गया है। बाजार में अनाज, फुलझड़ी, महताब, धिरनी एवं राकेट की अधिक बिक्री हो रही है। तीन साल से पटाखा का कारोबार मंदी की दौरा से गुजर रहा है। क्या है ग्रीन पटाखे :

ग्रीन पटाखे दिखने, जलने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होती है, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 50 प्रतिशत तक कम हानिकारक गैस निकलती है। ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले मसाले सामान्य पटाखों से अलग होते है। अब शिवकाशी में कुछ केमिकल पर प्रतिबंध लगने के बाद ग्रीन पटाखों का निर्माण शुरू हो गया है। एनजीटी के निर्देश का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। दीपावली में ग्रीन पटाखे की बिक्री ही होगी। तेज आवाज वाले व प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे नहीं बिक सकेंगे।

-इंद्रवीर कुमार, एसडीओ


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