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Inspiring : हादसे में दिव्‍यांग होने के बावजूद नहीं मानी हार, अब सर्वोत्‍तम पैरा एथलीट का मिला सम्‍मान

रोहतास के दिनारा निवासी शेखर चौरसिया को सर्वोत्‍तम पैरा एथलीट का सम्‍मान दिया गया है। राज्‍य सरकार के एक मंत्री ने वर्चुअल कार्यक्रम में उसके नाम की घोषणा की। एक हादसे में शेखर दिव्‍यांगता का शिकार हो गया था।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 09:28 AM (IST)
Inspiring : हादसे में दिव्‍यांग होने के बावजूद नहीं मानी हार, अब सर्वोत्‍तम पैरा एथलीट का मिला सम्‍मान
सर्वोत्‍तम पैरा एथलीट शेखर चौरसिया। जागरण फोटो

जेएनएन, रोहतास। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस (International Day of Disabled Persons) पर समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार की ओर से पटना में आयोजित वर्चुअल राज्यस्तरीय सम्मान समारोह में दिनारा प्रखंड के गुनसेज निवासी शेखऱ चौरसिया को सर्वोत्तम राष्ट्रीय पैरा एथलिट (Best Para Athlete) सम्मान से नवाजा गया। राज्य के समाज कल्याण विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने अपने संबोधन के दौरान सर्वोत्तम राष्ट्रीय पैरा एथलिट खिलाड़ी का सम्मान पाने वालों में शेखर के नाम की घोषणा की।

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समाज कल्याण विभाग के सचिव और सक्षम के मुख्य कार्यपालक दयानिधान पांडेय, राज्य निश्‍शक्‍तता आयुक्त डॉ. शिवाजी कुमार, समाज कल्याण विभाग सहायक निदेशक सह अपर राज्य आयुक्त शंभु रजक, दिव्यंगजन सशक्तिकरण निदेशालय की सहायक निदेशक पिंकी कुमारी के अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की वर्चुअल उपस्थिति में यह आयोजन हुआ।

छत्‍तीसगढ़ में दौड़ प्रतियोगिता में जीता था दो स्‍वर्ण पदक(Gold Medal)

शेखर ने वर्ष 2020 में रायपुर छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में आयोजित दौड़ प्रतियोगिता में दो स्वर्ण और दो सिल्वर मेडल प्राप्त किया था। इसको लेकर उसे यह सम्मान प्रदान किया गया। गरीबी में पले-बढ़े शेखर की इस उपलब्धि पर माता-माता के साथ क्षेत्र के लोग भी प्रसन्‍न हैं। सर्वोत्तम राष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी का सम्मान मिलने पर साथी एथलिट, गुरुजन समेत अन्य लोगों ने बधाई और शुभकामनाएं दी

हादसे (Road Accident) के बाद हो गया दिव्‍यांग (Handicapped) लेकिन नहीं हारा हौसला

दीनदयाल चौरसिया का बड़ा पुत्र शेखर 2010 में एक ट्रक एक्सिडेंट का शिकार हो गया था। जान तो बच गई लेकिन वह दिव्‍यांग हो गया। यह शेखर के लिए बड़ा सदमा था। लेकिन उसने हार नहीं मानी। हौसले से उड़ान भरने की ठान ली। अपने कठिन परिश्रम से अपने रास्ते आने वाली हर एक चुनौती का डटकर सामना किया। नतीजा यह हुआ कि दिव्‍यांगता के बावजूद उसने दौड़ में बाजी मारी। अबतक इसने राष्ट्रीय स्तर पर कुल सात स्वर्ण , पांच सिल्वर व एक ब्रॉन्ज मेडल प्राप्‍त किए हैं।


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