Gaya: मां तारा के दर्शन को दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु, पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ने भी यहां नवाया था शीश
नवरात्र के मौके पर मां तारा महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। हालांकि इस बार कोरोना की वजह से कई कार्यक्रम नहीं हो पा रहे हैं। इस देवी स्थान का महात्म्य दूर-दूर तक है। सन 1992 में दिवगंत पीएम अटलबिहारी बाजपेयी भी दर्शन को केसपा आए थे।
टिकारी (गया), संवाद सहयोगी। चैत नवरात्र के पहले दिन से ही केसपा में मां तारा महोत्सव का प्रारंभ हो जाता है। पूरे नवरात्र के दौरान माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हालांकि इस बार कोरोना का असर है। भक्तों के बीच प्रतिदिन महाप्रसाद का वितरण और संध्या में भक्तिमय संगीत की प्रस्तुति होती है। महाअष्टमी की मध्यरात्रि को माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन माता का विशेष शृंगार होता है। माता के इस रूप में दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आते है। ऐसी मान्यता है कि उस वक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना के साथ आराधना करने वालों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
भगवान शिव की बचाई थी जान
ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त विष को लोक कल्याण की खातिर भगवान शिव ने पी लिया था। इस विष के प्रभाव से भगवान शिव मूर्छित हो गए थे। तीनो लोको में हाहाकार मच गया था, तभी मां तारा देवी प्रकट हुई और भगवान शिव को अपना दूध पिलाया । इसके प्रभाव से भगवान शिव की मूर्छा समाप्त हुई और तीनों लोकों में मां तारा की जयकार होने लगी। तभी से मां तारा की पूजा प्रारंभ हो गयी।
राहुल सांकृत्यायन की प्रेरणा से रुकी बलि प्रथा
पूर्व काल मे इस मंदिर में बलि चढ़ाया जाता था, लेकिन महान विचारक एवं लेखक राहुल सांस्कृत्यायन की प्रेरणा व अन्य लोगो के प्रयास के बाद बलि प्रथा समाप्त हो गया। हर वर्ष चैत अष्टमी के अवसर पर भव्य दो गोला सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता आ रहा है। लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण अभी यह स्पष्ट निर्णय नही हुआ कि सांस्कतिक कार्यक्रम होगा या नही। इस कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में भक्तगण आते है। यहां बता दें कि वर्ष 1992 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस मंदिर में माता का दर्शन करने आए थे।