Human Immuno Virus: औरंगाबाद जिले में युवा से लेकर बच्चे तक के शरीर में दौड़ रहा मौत का वायरस, जानिए कितने हैं एचआइवी संक्रमित
औरंगाबाद जिले में एचआवी संक्रमितों की संख्या 12 सौ से अधिक है। चिंता की बात यह कि इनमें बच्चे भी शामिल हैं। 25 से 35 वर्ष के युवा इसकी जद में हैं। गर्भवतियों को भी इस जानलेवा वायरस ने अपनी चपेट में ले रखा है।
जेएनएन, औरंगाबाद। प्रतिवर्ष 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World Aids Day) मनाया जाता है। ऐसी बीमारी जो छूटती नहीं। जो जानलेवा है। जागरुकता और सुरक्षा ही इससे बचा सकता है। पहले अब एड्स पर खुलेआम चर्चा होती है। अब लोग जागरूक हुए हैं। पहले तो लोग चर्चा करने से कतराते थे। दहशत का माहौल बना हुआ था। जिला में नेशनल हाइवे हो या रेड लाइट एरिया (RedLight Area) दोनों ही जगहों पर कंडोम (Condome) वितरण से लेकर जागरुकता लाने तक का काम एनजीओ की ओर से होता है। गांव-गांव तक इससे जुड़े स्लोगन लिखे गए।
संक्रमित सूई से भी बड़ी संख्या में इस बीमारी की चपेट में आ रहे लोग
असुरक्षित यौन संबंध एचआइवी (HIV)का सबसे बड़ा कारण है। लेकिन संक्रमित सूई, खून की वजह से भी काफी लोग इस वारयस से संक्रमित हो रहे हैं। तमाम जागरुकता कार्यक्रम व प्रावधानों के बावजूद पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर साल आंकड़ा में हो रही वृद्धि खतरनाक संकेत दे रही है। वर्ष 2005 से लेकर अब तक 1212 एड्स संक्रमित मरीज मिले हैं। इनमें 70 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। काफी तेजी से युवा इसके संपर्क में आ रहे हैं। कुल संक्रमित में से युवाओं की संख्या 40 फीसद से अधिक है। इनमें 25 से 35 वर्ष की उम्र वाले युवा हैंं। छोटे बच्चे भी संक्रमित हैं।
महिलाओं से पुरुष अधिक संक्रमित, बच्चे भी हैं इस बीमारी की जद में
हर वर्ष पॉजीटिव मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। 2005 से लेकर अब तक मिले संक्रमितों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। कुल मरीजों के आंकड़ाे पर नजर डालें तो 60 फीसद पुरुष हैं। वहीं 40 प्रतिशत महिलाएं इस गंभीर व लाइलाज बीमारी से संक्रमित हैं।
तीन टेस्ट के बाद आता है परिणाम
आइसीटीसी के चिकित्सा प्रभारी डाॅ. रविरंजन कुमार ने बताया कि एचआइवी की संभावना वाले व्यक्ति को तीन तरह का टेस्ट कराना पड़ता है। इससे ही उसके पॉजिटिव या निगेटिव होने की पुष्टि होती है। अगर वह व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसका नियमित तरीके से इलाज शुरु किया जाता है। संक्रमित व्यक्ति के बारे में किसी को नहीं बताया जाता है। इसको गुप्त रखा जाता है।
2003 से ऑक्टूबर 2020 तक जांच रिपोर्ट
वर्ष जांच पॉजिटिव
2003 206 11
2004 386 15
2005 8794 30
2006 2988 66
2007 3148 55
2008 2856 37
2009 2344 36
2010 2787 62
2011 2180 69
2012 1399 56
2013 4572 56
2014 608 75
2015 5125 75
2016 6292 79
2017 7472 113
2018 8035 115
2019 8492 125
2020 5566 67
एचआइवी से संक्रमित गर्भवती महिलाएं
वर्ष जांच पॉजिटिव
2008 920 1
2009 1144 3
2010 2200 6
2011 1651 2
2012 2513 0
2013 2651 1
2014 5768 3
2015 4513 2
2016 5605 5
2017 8058 13
2018 8488 10
2019 7700 13
2020 4533 11
जागरुकता जरूरीरी, बचाव ही इस जानलेवा बीमारी का इलाज
सिविल सर्जन डाॅ: अकरम अली ने बताया कि एड्स के प्रति लोगों को जागरुक किया जा रह है। एड्स का बचाव ही इसका इलाज है। सरकार व विभाग इसके रोकथाम के लिए बेहद सजग है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर पुरुषों के लिए कंडोम की व्यवस्था भी की गई है। असुरक्षित यौन संबंध से बचना है और सजग रहना है। सभी जगहों पर इसकी जांच की जाती है। संक्रमित मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है।