पनारी का मुखिया कौन, कोर्ट में होता रहा है फैसला
गया। बेलागंज प्रखंड के पनारी पंचायत में मुखिया का पद हमेशा विवादों में रहा है। पिछले दो चुनावों म
गया। बेलागंज प्रखंड के पनारी पंचायत में मुखिया का पद हमेशा विवादों में रहा है। पिछले दो चुनावों में मुखिया निर्वाचित घोषित किए जाने के बाद दोनों को ही कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी।
पनारी पंचायत के मतदाताओं को कोर्ट से ही न्याय मिलता रहा है। पिछले दो पंचायत चुनावों में एक ही परिवार के सदस्य मुखिया निर्वाचित घोषित किए गए, पर कोर्ट के फैसले के बाद ही जनता को उनके द्वारा चुना गया प्रतिनिधि मिला। पूर्व में निर्वाचित घोषित मुखिया को बीच में ही पद से हाथ धोना पड़ा।
वर्ष 2011 के पंचायत चुनाव में चुरामन यादव प्रखंड क्षेत्र के पनारी पंचायत में मुखिया पद के प्रत्याशी थे। उनकी प्रतिद्वंद्वी अंजु देवी थीं। मतगणना के बाद अंजू देवी को विजयी घोषित भी किया गया, परंतु पदाधिकारियों ने जीत का प्रमाण पत्र चुरामन यादव को दे दिया। चुरामन करीब दो वर्षो तक इस पद पर काबिज भी रहे। यह मामला जब पटना उच्च न्यायालय पहुंचा तो कोर्ट के आदेश पर अंजू देवी को मुखिया की शपथ दिलाई गई और चुरामन यादव कुर्सी से बेदखल कर दिए गए।
2016 में पनारी में मुखिया के लिए चुनाव हुआ तो इस बार यह सीट महिलाओं के लिए सुरक्षित थी। चुरामन यादव ने इस बार अपनी बहू संगीता कुमारी को प्रत्याशी बनाया। मतगणना हुई तो संगीता कुमारी की प्रतिद्वंद्वी रहीं महेश्वरी देवी हार गई। वे इस निर्णय से असंतुष्ट थीं। उनका आरोप था कि मतदान केंद्र संख्या 196 में कुछ वोट उनके पक्ष में थे, जिसे मतगणना के दौरान तकनीकी कारण बताते हुए अस्वीकृत कर दिया गया, जिसके कारण नतीजा संगीता कुमारी के पक्ष में गया।
महेश्वरी देवी ने इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के आदेश पर पुन: मतगणना हुई, जिसमें महेश्वरी देवी को 993 और संगीता कुमारी को 990 मत प्राप्त हुए। इसके बाद कोर्ट ने महेश्वरी देवी को विजयी घोषित किया।