पड़ोसियों से प्यार पर कोरोना से भी खबरदार, गांव वालों ने बाहर से आए 45 युवकों को बाहर ठहराया
CoronaVirus बिहार के औरंगाबाद के एक गांव में तमिलनाडु से आए 45 युवकों को गांव में नहीं घुसे दिया। उनके रहने की बाहर गांव से बाहर की गई है। कोरोना के संकट तक उनका गांव आना मना है।
औरंगाबाद, जेएनएन। CoronaVirus: बिहार के औरंगाबाद जिले के सोशुना गांव के बाशिंदे वाकई खबरदार (Alert) हैं। वे पड़ोसियों से मोहब्बत तो करते हैं, लेकिन कोरोना के संकट में जान की कीमत भी समझ रहे हैं। यही कारण है कि तमिलनाडु (Tamil Nadu) से लौटे गांव के 45 युवकों को कुछ दूरी पर ठहराने का इंतजाम किया है। गांव के स्कूल (School) और सामुदायिक भवन (Community Hall) में उनके रहने-खाने की पूरी व्यवस्था है, लेकिन संकट के टलने तक उनके गांव में घुसने पर मुकम्मल मनाही।
तमिलनाडु से आए 45 युवकाें को ग्रामीणों ने किया आइसोलेट
सोशुना गांव (Soshua Village) औरंगाबाद जिला के गोह प्रखंड में है। लोजपा (LJP) के जिलाध्यक्ष रणधीर पासवान इसी गांव के निवासी हैं। वे कहते हैं कि कोई यह मत समझें कि ग्रामीणों ने अपने ही पड़ोसियों को दरकिनार कर दिया है। हम तो बाहर से आए उन युवकों के साथ गांव में पहले से रह रहे दूसरे लोगों की जान और सेहत की सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर ग्रामीण विकास समिति ने उन युवाओं के लिए आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward) जैसी व्यवस्था कर दी है।
गांव में किसी भी बाहरी आदमी के प्रवेश पर पाबंदी
बहरहाल सोशुना गांव में कोई बाहरी आदमी प्रवेश भी नहीं कर सकता। ग्रामीण पहरेदारी कर रहे और इसके लिए प्रत्येक मोहल्लों में बजाप्ता बैरिकेडिंग लगा दी गई है। बकौल रणधीर, हम तो चाहते हैं कि आसपास के गांव वाले भी इस समय हमारे जैसा ही कदम उठाएं।
कोरोना के खौफ से आए युवक, ठहराए गए बाहर
गौरतलब है कि गांव पहुंचे 45 युवक कन्याकुमारी (तमिलनाडु) में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। कोरोना से संक्रमण के खौफ में वे वहां से भाग निकले। रणधीर बताते हैं कि कोलकाता से निजी वाहन रिजर्व कर वे युवक सोमवार को गांव पहुंचे। बुद्धिजीवी ग्रामीणों ने गांव में उनके प्रवेश पर आपत्ति जताई। इसके बाद उन्हें बाहर ठहराने का निर्णय लिया गया।