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मुख्‍यमंत्री महोदय ध्‍यान दीजिए, वरना कोरोना से नहीं, भूख से मर जाएंगे निजी स्‍कूलों के शिक्षक

निजी स्‍कूलों में पठन-पाठन बंद रहने से इनके शिक्षकों समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है। वे बच्‍चों की दवा तक नहीं करा पा रहे हैं। इसको लेकर प्राइवेट स्‍कूल एसोसिएशन के नेता ने मुख्‍यमंत्री और शिक्षा मंत्री का ध्‍यान आकृष्‍ट कराया है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 12:40 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 12:40 PM (IST)
मुख्‍यमंत्री महोदय ध्‍यान दीजिए, वरना कोरोना से नहीं, भूख से मर जाएंगे निजी स्‍कूलों के शिक्षक
प्राइवेट स्‍कूलों को बचाने की गुहार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

जेएनएन, औरंगाबाद। संपूर्णानंद ऐजुकेशनल एंड सोशल डेवलपमेंट ट्रस्ट के सचिव सह अभाविप के नगर अध्यक्ष डाॅ.चंचल कुमार ने शनिवार को कहा कि सभी प्राइवेट स्कूल कोरोना को लेकर लगातार मार्च माह से ही बंद हैं। लेकिन किसी को इसके प्रति ध्यान नहीं जा रहा है। सारे शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। उनके घरों की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। शिक्षकों एवं छात्रों के बीच की दूरी बढ़ने से पढ़ाई की सारी व्यवस्था ही चौपट हो गई है। शिक्षण कार्य बंद होने से शिक्षकों को सही से भुगतान नहीं हो पा रहा है। सारे संचालक काफी विकट समस्या से ग्रसित हैं।

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डॉ. चंचल ने कहा कि निजी स्‍कूलों के शिक्षकों के घरों में भुखमरी की नौबत आ गई है। छोटे-छोटे बच्चे अपने माता और पिता का मुंह देखकर किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। आज ऐसी हालात हो गई है कि छोटे बच्चों को दूध पिलाना या सही से भरण-पोषण करना कठिन हो गया है। हमलोग कहते हैं कि शिक्षक समाज के दिशा निर्देशक होते हैं। लेकिन आज उनकी इतनी बदतर स्थिति हो गई है कि कोई पूछने वाला नहीं। सारे पदाधिकारी मौन पड़े हैं। यदि यही स्थिति बनी रही तो शिक्षक और स्‍कूल संचालक कोरोना से नहीं भूख से मर जाएंगे। इसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए। इस विकट समस्या पर अविलंब विचार कर सरकार दिशा निर्देश जारी करे, ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके। साथ ही साथ राहत पैकेज दी जाए ताकि संचालक और शिक्षक दोनों को भुखमरी की समस्या से उबारा जाए। जितने सारे स्कूल किराये के मकान में संचालित होते हैं उनके मकान मालिक पैसा के लिए संचालकों को तंग कर रहे हैं, जिसके कारण जिला में सैकड़ों स्कूल बंद होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। इससे बेरोजगारों की फौज खड़ी हो रही है।


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