गया में हई टूटल सड़क, जाम आऊ गंदा फल्गु
गया सुधी पाठक। आप गया के हैं और गयाजी आपका। चुनाव के दौर में सब कुछ अच्छा करने का आश्वासन आपको मिल रहा है। सुंदर गया और साफ सुथरा गांव। लेकिन समस्याओं के झंझावत में गयाजी में जिदगी जी रही है। गांव की सड़कें टूटी है।
गया : सुधी पाठक। आप गया के हैं और गयाजी आपका। चुनाव के दौर में सब कुछ अच्छा करने का आश्वासन आपको मिल रहा है। सुंदर गया और साफ सुथरा गांव। लेकिन समस्याओं के झंझावत में गयाजी में जिदगी जी रही है। गांव की सड़कें टूटी है। पानी का अभाव है। गर्मी के दिनों में जहां शहर टैंकर से प्यास बुझाता है। वहीं गांव में कई किलोमीटर दूर से पानी लाने का मानो दिनचर्या बन गया है। प्रदूषित फल्गु से बिगड़ी छवि : मोक्ष की भूमि गयाजी में हजारों तीर्थयात्री पितरों को पिडादान व तर्पण करने आते हैं। तर्पण का जल फल्गु का होता है। श्रार्पित फल्गु सूखी और गंदगी से भरी है। अब जल दे तो कहां से। इससे गया की छवि बिगड़ रही है। पानी भी इसी फल्गु से पी रहे हैं। अब चुनाव का वक्त है। घोषणा हो गई कि गंगा का पानी गया आएगा। देखिए। यह घोषणा कब तक अमल में आती है। -- जाम से परेशान रहते लोग जाम की समस्या जीटी रोड से लेकर शहर तक की है। कोई ऐसा दिन नहीं। जिस दिन शहर के प्रमुख सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार नहीं लगी हो। कारण सिर्फ जनसंख्या बढऩा हीं नहीं। सड़क का सिकूडना भी है। अतिक्रमण सड़क के दोनों ओर है। कोई देखने वाला नहीं। चुनाव में भी इस पर कोई चर्चा नहीं। फ्लाईओवर की बात ही दूर है। -- टूटल सड़क हई बाबू जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क की समस्या आज भी है। कुछ बनीं है, तो अधिकतर नहीं बनी है। कारण स्थानीय स्तर पर गांव की उपेक्षा। मोहनपुर, टनकुप्पा और बाराचट्टी में तो- टूटल सड़क हई बाबू की कहानी आम बात है। इस क्षेत्र में आना-जाना मुश्किल से होता है। चुनाव के इस दौर में सड़क को लेकर लोगों ने नोटा तक के प्रयोग की बात कही है। डोभी भाया गया से पटना राष्ट्रीय राजमार्ग भी निर्माण के दौरान खतरनाक हो गई है। काम पूरा नहीं हो रहा है और यही हाल नवादा-गया राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की भी है। -- धरोहर की उपेक्षा कुछ दिन पहले यह चर्चा हुई थी कि गयाजी में एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ी को जोडऩे के लिए रोप-वे बनेगा। कुर्कीहार, ढ़ुगेश्वरी, भूरहा, गुनेरी, जेठियन, मोचारिम का मुचलिम सरोवर आदि बौद्ध स्थल को विकसित किया जाएगा और बोधगया आने वाले विदेशी पर्यटकों को यह क्षेत्र आकर्षित करेगा। एक तरह से यह भी चुनावी घोषणा हीं थी। जो पूरी नहीं हुई। गया के पास पुरातत्विक ²ष्टिकोण से सजाने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन हो कुछ नहीं रहा है। --- नक्सली खौफ जिदा है जिले के 24 प्रखंडों में लगभग 22 प्रखंड नक्सल प्रभावित माना जाता है। खासकर शेरघाटी अनुमंडल के झारखंड और बिहार सीमा पर बसे प्रखंड और गांव नक्सली कार्रवाई से प्रभावित है। बैनर और पोस्टर चुनाव में छप जाना और सट जाना आम बात है। नक्सलियों के एक पोस्टरबाजी से पूरा बाजार बंद हो जाता है। इस खौफ को दूर करने में सरकार की मंशा तो है, लेकिन हो नहीं रही है। अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती से घटनाओं में कमी आई है। लेकिन खौफ में नहीं।