Move to Jagran APP

Bihar: पार्टी-परिवार ने छोड़ दिया चिराग पासवान का हाथ, मगर ये लोग अब खड़े उनके साथ, सुनिए क्‍या कह रहे

चाचा-भतीजा पॉलिटिकल-फैमली ड्रामा के बीच चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के समर्थक बयानबाजी करने से नहीं चूक रहे। पशुपति कुमार पारस के समर्थक कहते हैं कि उनके तीनों भाइयों में बहुत प्रेम था इसलिए दो भाइयों के जीवित रहने तक पार्टी में एकजुटता बनी रही।

By Prashant KumarEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 05:15 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 09:18 AM (IST)
Bihar: पार्टी-परिवार ने छोड़ दिया चिराग पासवान का हाथ, मगर ये लोग अब खड़े उनके साथ, सुनिए क्‍या कह रहे
सांसद पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान की फाइल फोटो। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेताओं और परिवार के सदस्‍यों ने भले ही एक्‍टर से सांसद बने चिराग पासवान का हाथ छोड़ दिया हो, लेकिन उनकी प्रसिद्धि के कारण अब भी बिहार के सैकड़ों कार्यकर्ता उनके साथ खड़े हैं।

loksabha election banner

विधानसभा चुनाव में रफीगंज से लोजपा प्रत्याशी रहे मनोज कुमार सिंह ने पांच सांसदों की बगावत को जनता के साथ धोखा बताया है। मंगलवार को बयान जारी कर कहा है कि पार्टी के कार्यकर्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष सह सांसद चिराग पासवान के साथ खड़े हैं। चिराग के खिलाफ जिन लोगों ने फैसला लिया है वह पार्टी के हित में नहीं हैं। 99 प्रतिशत लोगों के साथ रहने का दावा करने वाले सांसद पशुपति कुमार पारस के साथ एक भी कार्यकर्ता नहीं हैं।

चिराग ने पार्टी को मजबूत बनाने के साथ कार्यकर्ताओं को सम्मान देने का कार्य किया है। जो सांसद चिराग के खिलाफ में हैं वे नीतीश कुमार की कठपुतली बनकर नाच रहे हैं। लोजपा के कार्यकर्ताओं ने ऐसा नहीं सोचा होगा कि जिस भाई ने अपने परिवार को देश स्तर पर खड़ा किया वहीं उसका विरोध करेंगे। यह विरोध सांसदों को भारी पड़ेगी। वे चुनाव लड़ लें पता चल जाएगा कि जनता चिराग के साथ है या उनके साथ। मनोज ने कहा कि अभी पार्टी नेता रामविलास पासवान को दिवंगत हुए एक वर्ष भी नहीं बीता है और ये लोग उनकी अरमानों की राजनीतिक हत्या करने में लग गए। चिराग के पास पार्टी को मजबूत बनाने का विजन है।

गौरतलब है कि चाचा-भतीजा पॉलिटिकल-फैमली ड्रामा के बीच चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के समर्थक बयानबाजी करने से नहीं चूक रहे। पशुपति कुमार पारस के समर्थक कहते हैं कि उनके तीनों भाइयों में बहुत प्रेम था, इसलिए दो भाइयों के जीवित रहने तक पार्टी में एकजुटता बनी रही। लेकिन, चिराग और उनकी मां ने रामबिलास पासवान के दोनों भाइयों को कभी देखना नहीं चाहा। पारस को हमेशा तिरस्‍कार मिला। उन्‍होंने चिराग को पार्टी से निकालकर कुछ भी गलत नहीं किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.