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भभुआ: हत्या मामले में दोषी पाए गए तीन भाईयों को आजीवन कारावास, दो वर्ष नौ माह में मिला इंसाफ

एडीजे 11 राजेश कुमार वर्मा की अदालत ने हत्या मामले में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों अभियुक्त सगे भाई हैं। साथ ही तीनों को 20-20 हजार रुपये अर्थदंड लगाया गया है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त की सजा मिलेगी।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 05:52 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:52 PM (IST)
भभुआ: हत्या मामले में दोषी पाए गए तीन भाईयों को आजीवन कारावास, दो वर्ष नौ माह में मिला इंसाफ
भभुआ में सजा सुनाते जज की सांकेतिक तस्वीर

 जासं, भभुआ: जिला व्यवहार न्यायालय के एडीजे 11 राजेश कुमार वर्मा की अदालत ने हत्या मामले में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों अभियुक्त सगे भाई हैं। साथ ही तीनों को 20-20 हजार रुपये अर्थदंड लगाया गया है। अर्थदंड की राशि नहीं देने पर छह माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। सजा पाने वालों में दुर्गावती थाना क्षेत्र के सोनांव गांव निवासी दलसिंगार बिंद का पुत्र सेचू बिंद, अभिमन्यू बिंद व सूचित बिंद शामिल हैं। 

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इस मामले में सूचक दुर्गावती थाना क्षेत्र के गंगापुर सोनांव गांव निवासी रामचंद्र प्रसाद के पुत्र शिवानंद प्रसाद ने बताया है कि दिनांक 11 अप्रैल 2019 को समय करीब 9:30 बजे मैं अपनी टबेरा गाड़ी को साफ कर रहा था। तभी मेरे गांव के सूची बिंद, सेचू बिंद व अभिमन्यू बिंद तीनों लोग मिल कर बोले की गाड़ी मत साफ करो। इसी बात को लेकर तीनों गाली-गलौच करने लगे और मेरे साथ हाथापाई करने लगे। इसके बाद बैट से मारपीट करने लगे। बहुत समझाने बुझाने के बाद भी नहीं माने। उसी समय मेरे पिता खेत पर से आए और उक्त तीनों भाईयों को समझाने लगे। तब सूचित बिंद जान मारने की नीयत से अपने घर से गड़ासा लेकर आया और मेरे पिता रामचंद्र प्रसाद के सिर पर वार कर दिया। जिससे वह बेहोश होकर गिर गए और उनकी बोलचाल बंद हो गई। उसी समय पिता को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गावती ले गए। जहां से बेहतर इलाज के लिए वाराणसी ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया।

 उस समय थाना में जानलेवा हमला करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। फिर 15 अप्रैल को पिता का ट्रामा सेंटर में ही इलाज के दौरान निधन हो गया। इसके बाद पुलिस ने फिर हत्या की प्राथमिकी दर्ज की। इस मामले में पुलिस ने सूचित बिंद को उस समय ही गिरफ्तार कर लिया। तब से वह आज तक जेल में है। मामला विचारण के दौरान न्यायाधीश ने तीनों भाईयों को दोषी पाते हुए उपरोक्त सजा सुनाई है। यह फैसला दो वर्ष नौ माह में हुआ है। इस मामले में अपर लोक अभियोजक मीना श्रीवास्तव रही व बचाव पक्ष के अधिवक्ता अजित कुमार सिंह रहे।


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