गया के अतिनक्सल प्रभावित इस प्रखंड में दिखती महिला सशक्तीकरण की सुंदर तस्वीर, बीडीओ से लेकर प्रमुख तक महिलाएं
गया जिले के डुमरिया प्रखंड को अतिनक्सल प्रभावित कहा जाता है। लेकिन खास बात यह है कि यहां के सभी महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं आसीन हैं। बीडीओ सीडीपीओ से लेकर प्रमुख की कुर्सी आधी आबादी संभाल रही हैं।
संवाद सूत्र, डुमरिया(गया)। अति नक्सल प्रभावित गया जिले के डुमरिया प्रखंड की पूरी व्यवस्था महिलाओं ने संभाल रखी हैं। बीडीओ से लेकर प्रमुख पद तक महिलाओं के जिम्मे है। वे इसे बखूबी संभाल भी रही हैं। इससे महिला सशक्तीकरण का संदेश मजबूत हो रहा है।
बीडीओ, बीईओ से लेकर
डुमरिया की प्रखंड विकास पदाधिकारी (Block Development Officer) पुष्पावती कुमारी सिंह हैं। वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (Block Education Officer) की जिम्मेदारी रेखा कुमारी संभाल रही हैं। बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (CDPO) राखी कुमारी तो कस्तूरबा गांधी आवसीय विद्यालय की वार्डन अनुराधा सिंह हैं। वहीं प्रखंड की प्रमुख राधा देवी हैं। ये सभी महिला सशक्तीकरण का सुंदर उदारहण प्रस्तुत कर रही हैं। खास बात यह है कि ये उस डुमरिया प्रखंड की तस्वीर है जिसे अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शुमार किया जाता है।
बीडीओ पुष्पावती कुमारी सिंह के पहले भी एक महिला अधिकारी श्रुति कुमारी इस पद पर रहीं। अनुराधा सिंह विगत 15 वर्षों से इस इलाके में जंगल-जंगल जाकर बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावकों से मिलती-जुलती हैं। साथ ही बच्चों के नामांकन, उनके भरण-पोषण के लिए अपने आवासीय विद्यालय में नामांकन कराती हैं।लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से कस्तूरबा आवासीय विद्यालय की स्थापना हर प्रखंड में सरकार ने कराई है। सरकार आवासीय विद्यालय में लड़कियों के पठन-पाठन के साथ निशुल्क रहने एवं भोजन का प्रबंध किया गया है। अनुराधा सिंह ने बताया कि सरकार का नारी सशक्तीकरण का सपना साकार होता दिख रहा है। लेकिन जब तक समाज में नारी शिक्षित नहीं होगी तब तक समाज का पूरी तरह से विकास संभव नहीं है। वे कहती हैं कि नारी के सहयोग के बिना समाज का बदलाव संभव नहीं दिखता है। नारी सशक्तीकरण का मुख्य कारण शिक्षा काे बढ़ावा देना है। लेकिन समाज में दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियां अब भी हैं। इन्हें दूर करने के लिए सभी को मिलजुलकर आगे आना होगा।