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विलय नीति के विरोध में बैंक बंद, ग्राहक रहे हलकान

पेज - फोटो 01 एवं 02 - डेढ़ करोड़ का कारोबार प्रभावित एसबीआइ की शखाओं को जबरन कराया बंद -कहा मांगें नहीं मानी गई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे -ऋण वसूली और ग्राहकों पर लगे शुल्क भी वापस ले सरकार ------------- जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 10:44 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 10:44 PM (IST)
विलय नीति के विरोध में बैंक बंद, ग्राहक रहे हलकान
विलय नीति के विरोध में बैंक बंद, ग्राहक रहे हलकान

गया । विलय नीति के विरोध में मंगलवार को शहर में सभी बैंक बंद रहे। इसके कारण करीब डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ। बैंककर्मियों ने बीईएफआइ व बीआइबीआइए बैनर तले शहर में प्रदर्शन किया। हड़ताल के समर्थन नहीं करने वाले एसबीआइ की खुली कई शाखाओं को जबरन बंद कराया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे यूनियन के नेता नवेंदु कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार की गलत विलय नीति के विरोध में एक दिवसीय हड़ताल की है। इसके समर्थन में जिले में सभी बैंक बंद रहे। उन्होंने कहा कि सरकार विलय नीति के साथ ही ऋण वसूली, ग्राहकों पर लगे शुल्क वापस ले। साथ ही बैंककर्मियों को सेवा सुरक्षा मुहैया कराई जाए। यूनियन के सचिव हीरा लाल ने कहा कि एक दिन बैंककर्मियों को हड़ताल में रहने से करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ। सरकार मांगें नहीं मानती तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

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ग्राहक हुए परेशान

शहर में सभी बैंकों के बंद रहने से ग्राहकों को काफी परेशानी हुई। भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा में ग्राहक सबसे अधिक परेशान दिखे। बैंक में रुपये की निकासी को लेकर परैया से आए मनोज कुमार एवं खिजरसराय के सुधीर कुमार काफी परेशान थे। दीपावली को लेकर खरीदारी करने के लिए रुपये निकालने आए थे। बिना कोई सूचना के बैंक को बंद कर दिया गया है।

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रुपये निकासी को लेकर

एटीएम में लंबी कतार

बैंक बंद रहने से शहर में स्थित एटीएम में ग्राहकों की लंबी कतार देखी गई। सबसे अधिक ग्राहकों की भीड़ एसबीआइ मेन शाखा के पास एटीएम में देखी गई। वहां ग्राहक लंबी कतार में खड़े होकर अपने बारी का इंतजार कर रहे थे। ग्राहक रेणु कुमारी, संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि बैंक बंद रहने के कारण एटीएम पर भीड़ है। शहर में कई एटीएम के चक्कर लगाने के बाद यहां पहुंचे हैं। आधा घंटे से अधिक समय गुजर गया है, लेकिन अभी रुपये की निकासी नहीं हुई।


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