Move to Jagran APP

Aurangabad: सबकी मन्नतें पूरा करती हैं ममतामयी मां सतबहिनी, चमत्कार देख बना था मंदिर, बिहार व झारखंड के आते श्रद्धालु

मां सतबहिनी जहां अवस्थित हैं वहां प्राचीन काल में देवी मां का मंदिर नहीं था। 40-50 के दशक में यहां आनेवाले व ठहरने वाले लोगों और व्यवसाय से जुड़े लोगों ने यहां बरगद की छांव तले अद्भुत शक्ति का अनुभव किया। इसके बाद मंदिर बनाया गया।

By JagranEdited By: Prashant Kumar pandeyPublished: Wed, 28 Sep 2022 12:21 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 12:21 PM (IST)
Aurangabad: सबकी मन्नतें पूरा करती हैं ममतामयी मां सतबहिनी, चमत्कार देख बना था मंदिर, बिहार व झारखंड के आते श्रद्धालु
सबकी मन्नतें पूरा करने वाली ममतामयी मां सतबहिनी का मंदिर

 ओमप्रकाश शर्मा, अंबा (औरंगाबाद) : मगध की धरती पर देवपूजन की प्राचीन परंपरा रही है। गांवों में आज भी देवी-देवताओं की पूजा असीम आस्था के साथ की जाती है। देवी का प्रसिद्ध मंदिर यहां की आध्यात्मिक छटा है। चाहे वह गया की पुण्य भूमि पर अवस्थित मां मंगलागौरी हो अथवा अपने जिले की मां सतबहिनी मंदिर, महुआधाम की देवी, गजनाधाम की देवी या मदनपुर का उमंगेश्वरी भवानी। अंबा का मां सतबहिनी मंदिर बिहार और झारखंड के अलावा मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ को जाने वाले यात्रियों के लिए आस्था का प्रतीक है। नवरात्र में मां सतबहिनी का महत्व काफी बढ़ जाता है।

loksabha election banner

देवी शक्ति का चमत्कार देख बना मंदिर

मां सतबहिनी जहां अवस्थित हैं वहां प्राचीन काल में न तो देवी मां का मंदिर था न हीं उपरोक्त स्थान पर देवी पूजन की परंपरा थी। 40-50 के दशक में यहां आनेवाले व ठहरने वाले लोगों और व्यवसाय से जुड़े लोगों ने यहां बरगद की छांव तले अद्भुत शक्ति का अनुभव किया। साधन संपन्न स्थानीय चिल्हकी निवासी महाराज पांडेय ने देवी शक्ति का चमत्कार देखा और मंदिर स्थापना का संकल्प लिया और बाद में चलकर मंदिर की स्थापना की गई। इसलिए यह कहना सर्वथा सत्य होगा कि मां सतबहिनी स्वतः उद्भूत देवी हैं जिन्होंने अपने ममतामयी आंचल में अपने भक्तों को संग्रहित करती आई हैं। 

द्रवीड़ व नागर शैली में बनाया गया है मंदिर 

90 के दशक में मंदिर का ध्वस्त होने पर द्रवीड़ व नागर शैली में करोड़ों रुपये की लागत से नए मंदिर का निर्माण हुआ है। निर्माण में वास्तुकार दक्षिण भारत से बुलाए गए थे। निर्माण कार्य में तत्कालीन एसडीएम कुमार देवेंद्र प्रौज्ज्वल एवं स्थानीय जन प्रतिनिधि, समाजसेवी व जनता का सहयोग रहा। आज मां का मंदिर अद्भुत वास्तुकला का दर्शनीय स्थल बन चुका है।

नवरात्र में रहती है भीड़

नवरात्र का आगमन सोमवार से प्रारंभ हुआ है। मां के मंदिर में भक्त महिलाएं व पुरुष सूर्योदय के पहले हीं अपना अनुष्ठान पूर्ण करने में लगे रहते हैं। सायंकाल में सभी मां की आरती व मिष्ठान्न का भोग लगाते हैं। नवरात्र में यहां का वातावरण अत्यंत मनोरम व आध्यात्मिक होता है। यह मंदिर औरंगाबाद से झारखंड, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ को जाने वाली सड़क मार्ग के किनारे है। इस सड़क से होकर गुजरने वाले सभी लोग अपना मात्था मंदिर की ओर झुकाते हैं। 

कहते हैं मंदिर के पुजारी

मंदिर के पुजारी पप्पू पांडेय ने बताया कि यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं का आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरा होती है। यही कारण है कि यहां हर वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। नवरात्र में इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.