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मगध क्षेत्र में फसलों पर विदेशी कीट का हमला

मगध क्षेत्र में फसलों पर अमेरिकी कीट का हमला बोधगया। अमेरिका में सब्जी के पौधों पर पाए जाने वाले येल्लो वूल्ली बिअर नामक कीट पहली बार

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 03:00 AM (IST)
मगध क्षेत्र में फसलों पर विदेशी कीट का हमला

बोधगया। अमेरिका में सब्जी के पौधों पर पाए जाने वाले येल्लो वूल्ली बिअर नामक कीट पहली बार भारत के मगध प्रांत में धान की फसल पर देखा गया। यह कीट आने वाले समय में किसानों के लिए घातक साबित हो सकता है। दो अन्य विदेशी कीट भी मगध प्रांत में देखे गए हैं।

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तीन प्रकार के कीटों को मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर प्राणी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता में शोधार्थियों ने प्रस्तुत किए। शोधार्थियों ने कहा कि येल्लो वूल्ली बिअर कीट की रिपोर्टिग भारत में अभी तक नहीं की गई थी। जबकि ब्राजील का फॉल आर्मी वोर्म और अफ्रीका का स्लग मोथ नामक कीट भारत में विभिन्न पौधों पर पाया गया था। लेकिन ये भी अपने प्राथमिक भोज्य पौधे को बदल दिया है। शोधार्थी दानिश मसरूर व जक्कीया मसरूर ने इन कीटों को बायो-टेक्नोलॉजी के सहायक प्राध्यापक डॉ. सरफराज अली की अध्यक्षता में मगध प्रमंडल में फील्ड ऑब्जरवेशन के दौरान संग्रह किया है। उन्होंने कहा कि फॉल आर्मी वोर्म कीट अगस्त 2018 में पहली बार तमिलनाडु के करूर जिले में देखा गया था। इसकी पुष्टि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गई थी, जो मूलत: मक्की की फसल को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन इसे मगध में धान की फसल पर भी देखा गया। तीसरा स्लग मोथ कीट भारत में आम और जामुन के पेड़ पर देखा जाता था। इसे मगध में महुआ के पेड़ पर देखा गया। सारे कीटों की पहचान एवं पुष्टि रांची विवि के पूर्व कुलपति एवं विनोबा भावे विवि के विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. एम रजीउद्दीन व मविवि के पूर्व विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष प्रो. केबी शर्मा ने की है।

विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इसकी पूर्णतया पुष्टि के लिए इंटरनेशनल शोध पत्र में प्रकाशन के लिए भेजा गया है। आने वाले समय में शोधार्थियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। पूर्व विभागाध्यक्ष व संकायाध्यक्ष प्रो. शर्मा ने शोधार्थियों के फिल्ड ऑब्जरवेशन की सराहना करते हुए इस पर विस्तार से प्रकाश डाले। उन्होंने कहा कि इसके लिए जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण मूल कारण है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि समय रहते इसके प्रभाव को निष्क्रिय करने के लिए बृहद शोध की जरूरत है। इस मौके पर विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. डीके यादव, प्रो. एसएनपी यादव दीन, कुलपति के ओएसडी डॉ. शैलेन्द्र कुमार व अन्य उपस्थित थे।


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