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कैमूर में घटती जा रही कृषि योग्य भूमि, कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी, बढ़ी समस्‍या

कैमूर जिले में कुल क्षेत्रफल का लगभग 30 फीसद में वन क्षेत्र है। जहां सेंचूरी कानून लागू है। शेष बची भूमि पर तालाब परती व अन्य चीजें है। आधुनिकता के दौर में लोग कृषि योग्य भूमि में भवन बनाते जा रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 03:51 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 03:51 PM (IST)
कैमूर में घटती जा रही कृषि योग्य भूमि, कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी, बढ़ी समस्‍या
कृषि योग्‍य भूमि में आई कमी। सांकेतिक तस्‍वीर।

संवाद सहयोगी, भभुआ। कैमूर जिले में कुल क्षेत्रफल का लगभग 30 फीसद में वन क्षेत्र है।  जहां सेंचूरी कानून लागू है। शेष बची भूमि पर तालाब, परती व अन्य चीजें है। आधुनिकता के दौर में लोग कृषि योग्य भूमि में भवन बनाते जा रहे हैं। भभुआ तथा मोहनियां शहर के आसपास की खेती योग्य जमीन डिसमिल के हिसाब से बिक चुकी है। जहां पर हर दिन इमारतें खड़ी हो रही है। 2021 से कुदरा, रामगढ़ तथा हाटा के नगर पंचायत बनने के बाद से वहां की जमीन भी पांच लाख रूपये से ऊपर प्रति डिसमिल के हिसाब से बिक रही है। इस तरह नगर पंचायत व नगर परिषद के आसपास के करीब तीन किलो मीटर तक के परिधि के कृषि योग्य जमीनें घर बनाने तथा व्यवसाय करने के ²ष्टि से ली जा रही है। जबकि व्यवसायिक रूप से उपयोग करने वाली जमीन पर अनुमंडल कार्यालय पर सम परिवर्तन कराना होता है। लेकिन लोग जमीन का उपयोग अन्य कार्य में करते हुए सम परिवर्तन नहीं करा रहे है। जिससे सरकार को भी राजस्व की क्षति हो रही है। वर्ष 2020-21 के तहत कैमूर जिले के भूमि का निर्धारण किया गया है। जिसमें अधिकांश भूमि का सर्वे किया गया है। जिसमें कृषि योग्य भूमि काफी कम रह गया है।

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किसानों के सामने संकट

दरअसल जिले के किसानों के सामने संकट आ गया है। कुछ जगहों पर कृषि योग्य भूमि में नहर तो कहीं पर सड़क बन जा रहा है। जो कृषि योग्य भूमि बची है, वो बाढ़ या सुखाड़ के समय फसल नष्ट हो जाती है। किसानों के सामने जहां एक ओर भूमि की कमी है तो दूसरी ओर फसल के लिए मौसम का मार है। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने का सपना भी सच होता नहीं दिखने वाला है। हर साल बारिश के मौसम में किसान की धान की फसल खराब हो जाती है।

हर दिन बन रहा भवन

जिले में ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्रों में तक हर दिन कृषि योग्य भूमि पर इमारतें खड़ी हो रही है। परिवार के टूटने के बाद सभी अपना स्वत: अलग अलग घर कृषि योग्य भूमि पर ही बना रहे है। जिले के प्रखंड के बाजारों में भी जमीनों की कीमतें आसमान छू रही है। ऐसे में लोग कृषि योग्य भूमि को बेचते जा रहे है। जिससे आने वाले समय में परेशानी हो सकती है।

जिले में 2020-21 के जमीन का आंकड़ा (एकड़ में)

कुल क्षेत्रफल 846216.76

वन क्षेत्र - 279329.34

परती भूमि - 47583.27  

स्थल क्षेत्र - 77167.14

जल क्षेत्र - स्थाई - 6108.53 , मौसमी - 5938.37

कृषि योग्य बंजर भूमि - 6112.69

स्थाई चारागाह एवं अन्य - 1323.33

वृक्ष - 5790.17

2 से पांच वर्षों तक परती - 9613.36

इस वर्ष परती भूमि - 18956.74

कुल गैर कृषि योग्य भूमि - 457922.94

कृषि योग्य भूमि का डाटा - 388293.82


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