जय जगत को जानने व मानने की आवश्यकता बढ़ी : प्रवीणा
जागरण संवाददाता, बोधगया : भारत सदा से सारे संसार की जयकारा करता आया है। वर्तमान परिपेक्ष्य में
जागरण संवाददाता, बोधगया : भारत सदा से सारे संसार की जयकारा करता आया है। वर्तमान परिपेक्ष्य में जय जगत को जानने, कहने और मानने की आवश्यकता बढ़ गई है। लेकिन यह तब संभव है, जब हम राष्ट्र, धर्म, जाति जैसे सारे भेदों से स्वयं को मुक्त कर लें। ऐसा होने से ही जन-जन बुलंद आवाज सरकार तक पहुंच सकेगी।
ये बातें बुधवार को बोधगया के निगमा मोनास्ट्री में आचार्यकुल का तीन दिवसीय वैश्रि्वक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में आचार्यकुल की संरक्षक प्रवीणा देसाई ने कही। इसके पहले सम्मेलन का उद्घाटन थाइलैंड से आए धर्मवेत्ता डॉ. वीसी बुद्ध चरण दास ने मंत्रोच्चार व दीप प्रज्वलित कर किए। स्कूली बच्चों ने स्वागत गान प्रस्तुत किए। सम्मेलन का आयोजन शिक्षण जगत हेतु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी आचार्य विनोबा भावे द्वारा प्रवर्तित संगठन आचार्यकुल द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य विषय 'जय जगत साम्य की दिशा में' है। पूर्व सांसद व पूर्व कुलपति डॉ. रामजी सिंह ने कहा कि देश और दुनिया को आचार्य ही दिशा प्रदान कर सकते हैं और ऐसा आचार्य वहीं हो सकता है। जो निष्पक्ष व निर्भिक हो। आचार्यकुल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हीरालाल श्रीमाली ने सांगठनिक स्वरूप पर चर्चा की। संरक्षक व सम्मेलन आयोजक समिति के संयोजक डॉ. सच्चिदानंद प्रेमी ने विभिन्न स्थानों से आए आचार्यो को गया और बोधगया के धार्मिक, ऐतिहासिक व सामाजिक महत्व से अवगत कराया। भाविनी पारेख ने विषय का प्रतिपादन किया। समन्वय आश्रम के भाई द्वारिको सुन्दरानी, एसएस प्रभुजी महाराज, पुलिंदानंद, केपी शारदा आदि ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। वहीं, विज्ञान और आध्यात्म विषय पर सत्र को डॉ. ईश्वर दयाल, विवेक नारायण गोखले, नवल किशोर सिंह, भाविनी पारेख, सुरेश चंद श्रीवास्तव ने संबोधित किया। सम्मेलन में संध्या बेला में विभिन्न विषयों पर अलग-अलग समूहों द्वारा विचार मंथन के पश्चात गुजराती गरबा की सरस प्रस्तुति की गई।