Move to Jagran APP

मासूम बच्‍चों को देख पिघला रोहतास के थानेदार का दिल, फिर जो हुआ, जानकर कह उठेंगे, शाबाश

रोहतास जिले के सूर्यपुरा थाने के थानाध्‍यक्ष सुधीर कुमार सिंह की पहल की हर कोई सराहना कर रहा है। ऐसा स्‍वाभाविक भी है। उन्‍होंने न केवल एक शराबी की शराब की लत छुड़ाई बल्कि उसके दो बच्‍चों की पढ़ाई का जिम्‍मा भी उठा लिया।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 11:12 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 11:12 AM (IST)
बच्‍ची को पढ़ाते थानाध्‍यक्ष सुधीर कुमार सिंह। जागरण

सूर्यपुरा (रोहतास), संवाद सूत्र। क्राइम कंट्रोल, दिनभर का दबाव और अन्‍य तरह के मानसिक तनाव के बीच यदि कोई वर्दीधारी शिक्षक की भूमिका में दिखे तो आश्‍चर्य होता ही है। लेकिन कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो समाज में बदलाव की मुहिम चला रहे हैं। ऐसा ही कुछ किया है रोहतास के इस पुलिस अधिकारी ने। दो बच्चों की बर्बाद हो रही जिंदगी को संवारने के लिए न केवल उनके पिता की शराब की लत छुड़वाई बल्कि दोनों बच्‍चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का भी प्रयास किया।पुलिस अधिकारी के इस प्रयास की सराहना हो रही है।

loksabha election banner

पत्‍नी की दो माह पहले हो गई मौत 

सूर्यपुरा गढ़ निवासी मंटू कुमार शराब की लत के आगे कभी अपनी गरीबी से उबरने का प्रयास नहीं किया। ना ही अपने परिवार की परवरिश की चिंता की। दिन-रात शराब के नशे में डूबा रहता था। इस लत के कारण वह कई बार जेल भी जा चुका था। मंटू की पत्‍नी पति की इस लत और गरीबी की मार से दो माह पूर्व काल के गाल में समा गई। अब वह अपने दो बच्चों के साथ अकेला बच गया था, फिर भी शराब पीने की लत नही गई। गांव वाले उसके हंगामे के कारण पुलिस से शिकायत करते रहते थे। फिर एक दिन पुलिस ने उसे पकड़ थाना ले आई। 

थानाध्‍यक्ष ने थाने के मेस में रखा रसोइया 

थानाध्‍यक्ष सुधीर कुमार सिंह को जब यह पता चला कि उसके दो छोटे-छोटे बच्चे घर पर अकेले हैं। जब मंटू जेल चला जाएगा तो इस कोरोना काल मे उन बच्चों का भरण- पोषण कौन करेगा । इस बात को लेकर वे मर्माहत हो गए। थानाध्यक्ष ने मंटू की जांच कराई तो उस समय वह शराब के नशे में नहीं मिला। थानेदार ने उसे डांट फटकार लगाई। कहा कि सुधर जाओ। मंटू ने बताया कि वह रसोईया का काम करता है और उसी पैसे से शराब पीता है। थानाध्यक्ष ने उसे थाना पर ही रसोइया के रूप में रखने का विचार बनाया। उसे मेस के लिये इस वादे पर रखा कि आज के बाद वह कभी शराब नही पिएगा।

जब जिसे मौका मिलता है पढ़ाता है बच्‍चों को 

मंटू ने थानाध्यक्ष की बात मान ली और अपने काम में लग गया।थानाध्यक्ष की पहल पर ना सिर्फ मंटू की शराब की लत छूटी बल्कि उसके दोनों बच्चों को शिक्षा का बोझ भी थानाध्यक्ष ने उठाया। पुलिस ने विद्यालय में बच्चों का दाखिला भी करा दिया है। दोनों बच्चो को पुलिस पदाधिकारी हो या पुलिस बल के जवान, जिसे जब समय मिला पढ़ाने का भी काम करते है। पिता जहां खाना बनाकर जवानों का पेट भरता है वही दोनो बच्चे किताब कॉपी लेकर पढ़ाई करते है।

केवल डंडे के बल पर नहीं आ सकता बदलाव 

मेस में रसोइया के रूप में मिले पैसे अब बच्चों के भविष्य के लिए बचाता है। कहता है कि उसे नई जिंदगी मिली है। काश पहले वह सुधर गया होता तो पत्नी की जान नहीं जाती। थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि मनुष्य में व्यवहार परिवर्तन केवल डंडे के बल पर ही नही किया जा सकता, इसके लिए उसे प्रेम से समझाने की जरूरत होती है। शराब की बुरी लत अब मंटू छोड़कर बेहतर रसोइया के रूप में कार्य कर रहा है। खुशी इस बात की है कि उसके दोनों बच्चे पुलिस परिवार के सदस्य जैसे हो गए हैं।उनकी परवरिश व शिक्षा की चिंता थाना पर तैनात सभी कर्मी कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.