इमामगंज में दो साल से 78 शिक्षक नहीं जाते स्कूल, रोका गया वेतन
गया। इमामगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित सभागार भवन में शनिवार को प्रखंड प्रमुख कलावती देवी की अध्यक्षता में पंचायत चुनाव के बाद पंचायत समिति की दूसरी बैठक हुई। बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा सभी विभाग पर समस्या पर प्रश्नों का बौछार होता रहा।
गया। इमामगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित सभागार भवन में शनिवार को प्रखंड प्रमुख कलावती देवी की अध्यक्षता में पंचायत चुनाव के बाद पंचायत समिति की दूसरी बैठक हुई। बैठक में पंचायत प्रतिनिधियों के द्वारा सभी विभाग पर समस्या पर प्रश्नों का बौछार होता रहा। सभी विभाग के अधिकारियों को उनका जवाब देने में पसीना छूट रहे थे। बीडीओ राजेश कुमार के द्वारा प्रतिनिधियों को जवाब दे रहे थे। इस बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा, और प्रधानमंत्री आवास योजना का मुद्दा छाया रहा। बारी-बारी से सभी विभाग के कार्यों पर चर्चा:
बैठक में सबसे पहले प्रधानमंत्री आवास योजना और नल-जल योजना पर चर्चा की गई। इसमें बीडीओ ने कहा कि जिस पंचायत के वार्डों में नल जल में गड़बड़ी है। इसकी सूचना तुरन्त दिया जाए। उसे ठीक कर हर घर तक पानी पहुंचाया जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री आवास योजना पर चर्चा किया गया। इसका जवाब देते हुए समन्वयक शशिकुमार ने सदन को बताया कि इमामगंज प्रखण्ड की 15 पंचायतों में 10759 प्रधानमंत्री आवास का लक्ष्य था। इसमें 9 हजार 400 आवास लाभुकों को पहली किश्त दे दिया गया है। इसके बाद शिक्षा विभाग पर चर्चा किया गया। इसमें दर्जनों शिक्षकों को दो-दो साल से विद्यालय नहीं जाने का समिति के सदस्यों और मुखिया के द्वारा जोरदार ढंग से आवाज उठाया गया। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामसेवक राम ने सदन को बताया कि जो दो साल से विद्यालय नहीं जा रहे वैसे 78 शिक्षकों का वेतन रुका हुआ है। इनकी कागजात की जांच निगरानी विभाग के पास चल रही है। स्वास्थ्य विभाग पर चर्चा हुई। इसमें मुखिया अविनाश सिंह ने सदन में आवाज उठाया कि सीएचसी में भर्ती होने वाले रोगियों को इलाज में काफी लापरवाही होता है। अधिकांश रोगियों को बाहर का दवा लिख दिया जाता है, जिससे गरीब नहीं ले पाते हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों को भोजन नहीं दिया जा रहा है। इससे उन्हें घर से भोजन लाकर खाना पड़ रहा है। सीएचसी के डाक्टर ने बताया कि सरकार से मिलने वाली दवा से जिस रोगी का बीमारी ठीक नहीं हो सकता है। वैसे रोगियों को उनसे पूछकर दवा बाहर की लिखी जाती है। वहीं रोगियों का एक एनजीओ के द्वारा भोजन दिया जा रहा था, लेकिन उसे पैसा नहीं मिलने के कारण उन्हें भोजन नहीं मिल रहा है।