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एक छत के नीचे रहते एक ही परिवार के 22 सदस्य, सोने की भी समस्या, नई दुल्‍हन घर लाएं तो कैसै...

जहांगीरा गांव के इस परिवार में एक भी शौचालय नहीं बने हैं। शोभा देवी बताती है कि हम लोग के घर में शौचालय नहीं बनने के कारण रात के अंधेरे का इंतजार और सूर्य उदय होने के पहले खुले में शौच के लिए जाते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 11:02 AM (IST)
एक छत के नीचे रहते एक ही परिवार के 22 सदस्य, सोने की भी समस्या, नई दुल्‍हन घर लाएं तो कैसै...
22 सदस्‍यीय परिवार की महिलाएं और बच्‍चे। जागरण।

संवाद सूत्र, बाराचट्टी (गया)। गरीब को रहने का ठिकाना हो और अपने बाल बच्चों के साथ खुशी-खुशी जीवन व्यापन कर सके इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मुख्यमंत्री पुनर्वास योजना की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है। परंतु बाराचट्टी प्रखंड के रोहित पंचायत अंतर्गत जहांगीरा गांव में एक परिवार की दास्तां सुनकर यह साबित होता है कि इस योजना के क्रियान्वयन में कहीं ना कहीं प्रशासनिक लापरवाही चरम पर है अब इसके लिए कौन दोषी है यह तो जांच का विषय है। जहांगीरा गांव देवी मंदिर के निकट दुलारी देवी अपने पांच बेटों को पोसपाल कर बड़ा की और उनका घर भी बसाया।

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बहुत मुश्किल होता है घर में रहना पर करें क्या

दुलारी देवी की बहू चिंता देवी, बीना देवी, उमा देवी, शोभा देवी तथा उदय पासवान बताते हैं कि खेती मजदूरी कर दो पैसे की आमदनी करते हैं। तब जाकर किसी तरह बाल बच्चों को पाल रहे हैं। चिंता देवी कहती है कि हम लोग अपने घर में कुल 22 सदस्य हैं बेटी भी विवाह करने लायक है। बेटा भी विवाह करने लायक है काफी फजीहत से हम लोग इस घर में रहते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिले इसके लिए कई बार आवास सहायक एवं वीडियो के यहां जाकर घर बनाने के लिए उक्त योजना का लाभ देने का आरजू विनती है परंतु हम लोगों के आवेदन पर कोई फलाफल असर नहीं हुआ।

चार कमरा है छोटा-छोटा जहां दो चौकी भी लगना होता है मुश्किल

उमा देवी बताती है कि हम लोगों का घर मैं चार कमरा है लेकिन सभी छोटा छोटा है जहां दो चौकी काफी मुश्किल से लगा पाते हैं। घर में जवान बेटा बेटी होने के कारण हम लोग ठंड के मौसम में ही बरामदे में सोते हैं। पूर्व में भी बीपीएल में नाम था उस वक्त भी हम लोगों को इंदिरा आवास योजना से वंचित रखा गया अब तो धीरे-धीरे जैसे जैसे बाल बच्चे बड़े हो रहे हैं घर का खर्च भी बढ़ रहा है किसी तरह बच्चों के पढ़ाई लिखाई एवं घर चलाने का काम हमारे पति और हम सब मिलकर कर रहे हैं।

स्वच्छता योजना का खुला पोल

जहांगीरा गांव के इस परिवार में एक भी शौचालय नहीं बने हैं। शोभा देवी बताती है कि हम लोग के घर में शौचालय नहीं बनने के कारण रात के अंधेरे का इंतजार और सूर्य उदय होने के पहले खुले में शौच के लिए जाते हैं। उदय पासवान बताते हैं कि जो कमाते है उसे बच्चों के पढ़ाई लिखाई और घर खर्चा में खर्च कर देते हैं तो शौचालय कहां से बना पाएंगे। सरकार के यहां से शौचालय बनाने के बाद लाभ देने की बात होती है परंतु हमलोगों के यहां किसी ने इस तरह की कोई बात है जानकारी नहीं दिया है।


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