कोरोना काल में खत्म हो गया था गया के इस हाट का ठाट, अब एक बार फिर से होने लगा है गुलजार
गया जिले के वजीरगंज का हाट काफी प्रसिद्ध है। यहां राशन से लेकर कपड़े बर्तन समेत जरूरत के सभी सामान एक ही परिसर में उपलब्ध हो जाते हैं। इसके साथ ही यहां पालतु मवेशियों की खरीद-बिक्री भी की जाती है।
संवाद सूत्र, वजीरगंज (गया)। जिला के पूर्वी भाग में ढाढर नदी के किनारे नवादा जिला की सीमा पर जमुआवां में प्रत्येक मंगलवार को हाट लगता है। इस हाट में गाय, बैल, भैंस, बकरी, मुर्गी एवं अन्य पालतू पशुओं की बिक्री तो होती ही है साथ में नमक, तेल, मसाले, साग- सब्जियां, मांस-मछली, कपड़े, श्रृंगार, खाद, बीज सहित सभी प्रकारकी आवश्यक घरेलू सामग्री मिल जाती हैं। लोगों का कहना है कि यहां सामान सस्ते मिलते हैं। दूर-दूर से पशुओं के व्यापारी अच्छे नस्ल के दुधारू पशु की खरीद-बिक्री करने आते हैं। कोरोना काल में इस हाट को भी नजर लग गई थी। लेकिन अब फिर यह गुलजार होने लगा है।
कमेटी करती है हाट की देखभाल
जमुआवां के इस ग्रामीण साप्ताहिक हाट का नाम स्वर्गीय नानक सिंह पशु हाट है, जो बिहार सरकार से निबंधित है। हाट के संचालन के लिए जिन किसानों ने अपनी जमीन दी है, उन्हीं की कमेटी इसका देखभाल करती है। बदले में उन्हें भी प्रत्येक सप्ताह किराए की राशि से अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। संचालक मंडल के किसान शमशेर खान, डॉ नरेश सिंह, सुबोध सिंह, बीरू सिंह एवं अन्य बताते हैं कि करीब 30 वर्ष पहले ही ग्रामीणों की सहमति से प्रत्येक मंगलवार को बाजार लगाने का निर्णय लिया गया था। तब से अब तक यहां का बाजार सफलतापूर्वक संचालित है।अब तक किसी भी व्यापारी या ग्राहक को कोई परेशानी नहीं होने दी गई है। दूर-दूर से आने वाले व्यापारियों एवं ग्राहकों की सुरक्षा तथा आवश्यक सहयोग के लिए गांव के 15-20 समाजसेवी युवा हमेशा तत्पर रहते हैं। हाट में आने वाले सभी लोगों के लिए व्यवस्थापक मंडल द्वारा शुद्ध पेयजल, दवा एवं अन्य आपातकालीन सेवाएं भी उपलब्ध कराया जाता है। यहां तक कि किसी व्यापारी के पशुओं को भी कोई बीमारी हो जाए तो उसके लिए निःशुल्क पशु चिकित्सक एवं दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाती है।
पांच महीने तक बंद रहा था हाट
कोरोना संक्रमण काल में लगातार 5 महीने तक हाट का संचालन बंद कर दिया गया था, अब एक बार फिर से इस हाट का ठाठ बरकरार हो गया है। वैसे किसी भी सामग्री जिसका खरीदारी वजन से की जाती है, उसके लिए इस हाट में आज भी हाथ वाली तराजू और बटखरे का ही प्रयोग किया जाता है। हाट में खरीदारी कर रही गांव की महिलाएं बताती है कि इस बाजार में घर के सभी सामान मिल जाने से हमें काम छोड़कर दूर का बाजार नहीं जाना पड़ता है और कीमत भी कम देनी पड़ती है। कुल मिलाकर यह देखा जाए तो आज इन्हीं ग्रामीण हाट बाजार की तर्ज पर बड़े-बड़े शहरों में मॉल की स्थापना की गई है। जहां शहरी लोग एक ही छत के नीचे ऊंचे - ऊंचे दामों पर अधिक से अधिक सामानों की खरीदारी करने जाते हैं।