प्रजापिता ब्रह्मबाबा की 52वीं स्मृति दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन, भाई-बहनों ने परमपिता का लिया आशीर्वाद
शहर के पीपरपाती स्थित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी के सेवा केंद्र में प्रजापिता ब्रह्मबाबा की 52वीं स्मृति दिवस के उपलक्ष्य पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बीके सुनीता बहन ने उपस्थित लोगों को बताया कि 18 जनवरी 1969 को इस महामानव ने अपने शरीर का त्याग किया था।
जागरण संवाददाता, गया। शहर के पीपरपाती स्थित प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी के सेवा केंद्र में प्रजापिता ब्रह्मबाबा की 52वीं स्मृति दिवस के उपलक्ष्य पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित प्रमुख अतिथियों में अनिल स्वामी के साथ संस्था की केंद्र संचालिका बीके सुनीता बहन एवं अन्य लोगों ने ब्रह्म बाबा को पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर बीके सुनीता बहन ने उपस्थित लोगों को बताया कि 18 जनवरी 1969 को इस महामानव ने अपने शरीर का त्याग किया था। साथ ही उनके व्यक्तित्व के बारे में बताया कि वे एक विशेष आत्मा थे।
इनका जन्म वर्ष 1876 ई. में सिंध हैदराबाद के एक मुख्याध्यापक के घर में हुआ था। उनका बचपन का नाम दादा लेखराज था। बचपन से ही उनमें भक्ति भाव के संस्कार भरे हुए थे। ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने बचपन से ही खोज शुरू कर दी थी। इन्होंने 12 गुरु किए परंतु मन को शांति नहीं मिली। अपना जीवनयापन करने हेतु इन्होंने हीरे-जवाहरात का धंधा बड़ी ईमानदारी व सच्चाई-सफाई से शुरू किया। वह अपने धंधे से केवल अपने परिवार का ही पालन-पोषण नहीं करते थे बल्कि जरूरतमंदों की झोली भरपूर करके उन्हें भेजते थे।
व्यवसाय करते-करते धीरे-धीरे वैराग्य आने लगा। एक दिन बाबा पूजा में बैठे हुए थे कि इनको एक प्रकाश-पुंज नजर आया और वह उठकर बाहर भागने लगे। परिवार वाले सभी घबरा गए। बाद में दादा लेखराज जी ने बताया कि परमपिता ने मुझ में प्रवेश करके इस पुरानी दुनिया का विनाश दिखाया और फिर मुझे नई सृष्टि के निर्माण का आदेश दिया व उसका दिग्दर्शन करवाया। तब से दादा लेखराज ब्रह्मा-बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए और उन्होंने अपनी पुरानी ओम मंडली का नाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रख दिया। इस कार्यक्रम में बीके पूजा बहन, बीके प्रतिमा बहन, बैजनाथ भाई , शिवपूजन भाई राजेंद्र भाई अजय भाई आदि भी मौजूद थे ।