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..टिकारी राज की रानी भुनेश्वरी कुंवर ने अयोध्या में बनवायी थी राम मंदिर

टिकारी राज का अयोध्या से गहरा संबंध था। जिसका प्रमाण अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर विशाल महल

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 08:11 AM (IST)
..टिकारी राज की रानी भुनेश्वरी कुंवर ने अयोध्या में बनवायी थी राम मंदिर

टिकारी राज का अयोध्या से गहरा संबंध था। जिसका प्रमाण अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर, विशाल महल और रसिक निवास है। अयोध्या की भूमि पर टिकारी राज का कृति पताका फहराने का श्रेय धर्मपरायण, प्रजावत्सल, धर्मानुरागी और जनहित में रचनात्मक कार्यो में अटूट विश्वास रखने वाली रानी भुनेश्वरी कुवंर को जाता है। जिन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर और विशाल महल का निर्माण कराया था। जो अमावा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जो अयोध्या में राम जन्म भूमि यानि राम लला के मंदिर से ठीक सटा सबसे पहला मंदिर है। जिसका निर्माण रानी कुंवर ने 1920-21 में करायी थी। इस मंदिर का निर्माण आठ एकड़ के विशाल भूखंड पर किया गया था। जिसमें से मंदिर परिसर का क्षेत्रफल तीन एकड़ का है और मंदिर के बगल में बने महल का क्षेत्रफल पांच एकड़ का है। मंदिर परिसर के दक्षिण में अयोध्या भ्रमण और तीर्थ यात्रा के लिए राज परिवार के ठहरने के लिए छोटा सा सुंदर महलनुमा आवासीय परिसर भी बना था। उस समय इस महल का नाम भुनेश्वरी भवन था। इस महल में टिकारी किला के तर्ज पर बड़े आकर के 52 कमरे और आठ आंगन था। जब कभी राज परिवार के लोग राम मंदिर दर्शन करने के लिए अयोध्या जाते थे तो इसी महल में कुछ दिन के लिए विश्राम करते थे। मंदिर के गर्भ गृह में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की भव्य और आकर्षक मूर्ति प्रतिष्ठापित है। इस मंदिर में गर्भगृह में मुख्य रूप से राम-जानकी प्रतिमा के आस पास में छोटे-छोटे 12 मंदिर बने हुए है और उसमें अलग-अलग देवी-देवताओं के प्रतिमाएं विराजमान है। वर्तमान में पुराने मंदिर के स्थान पर नया राम मंदिर का निर्माण एक प्राइवेट ट्रस्ट निखिल भारतीय तीर्थ विकास समिति द्वारा कराया जा रहा है।

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टिकारी राज के इतिहास को बारिकी से जानने वाले रजनीश बाजपेयी बताते हैं कि अधिग्रहीत परिसर के करीब स्थित अमावा मंदिर में छह नवंबर 2019 देवोत्थानी एकादशी के दिन पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल के निर्देशन में विभिन्न धाíमक अनुष्ठानों के बीच कमल पर विराजमान चार फीट के बाल रूप में राम की मूíत की स्थापना कर दी गई। इस मूíत के निर्माण में पाच वर्ष लग गए। आसन मुद्रा में बाल रूप राम की मूíत वाला अयोध्या का यह पहला मंदिर है। रामलला का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को करीब 200 मीटर दूर से ही यह दिखाई पड़ता है।

---- टिकारी राज की रानी भुनेश्वरी कुंवर द्वारा निíमत राम मंदिर और महल में रामायण रिसर्च इंस्टीट्यूट संचालित है। जहां रामायण के अध्ययन के साथ शोध भी किया जाता है। संस्कृत भाषा का ज्ञान, रामायण और महाभारत काल की ऐतिहासिक महत्व के अध्ययन, वाल्मीकि रामायण, हिंदी, संस्कृत एवं अन्य भाषाओं में शोधार्थी यहां शोध करते हैं। इसके अलावे यहां वेद, पुराण, गीता, भागवत, उपनिषद आदि प्रमुख धाíमक ग्रंथों पर शोध का कार्य हो रहा है। इंस्टीच्यूट में एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स करने वाले शोधाíथयों को 'रामायण विशारद' और छह वर्ष का सíटफिकेट कोर्स पूरा करने वाले शोधकर्ताओं को 'रामायण पंडित' का प्रमाण पत्र दिया जाता है। महल सहित पूरे भूमि की निबंधन निखिल भारतीय तीर्थ विकास समिति के अधीन है। जिसके सचिव भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे किशोर कुणाल है। इस समिति अथवा ट्रस्ट में भारतीय प्रशासनिक, पुलिस और न्यायिक सेवा सहित अन्य बड़े अधिकारी है।


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