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पाउडर बनाने के लिए गया से 25 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा बिहारशरीफ

फोटो 202 -शहर में मिठाई की दुकान टी स्टॉल व अन्य दुकान बंद रहने से दूध की बिक्री में आई कमी -लॉकडाउन में हर दिन पर्याप्त मात्रा में समितियों से हो रही दूध की आपूर्ति -कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने एमडी के साथ दूध उपलब्धता को ले समीक्षा की जागरण संवाददाता गया

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:10 AM (IST)
पाउडर बनाने के लिए गया से 25 हजार लीटर दूध भेजा जा रहा बिहारशरीफ

गया । कोराना संकट के कारण जारी लॉकडाउन में दूध की कोई कमी नहीं है। सामान्य दिनों में गया, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, हिसुआ में करीब 60 हजार लीटर दूध का विपणन प्रतिदिन किया जाता है। अभी विपणन घटकर 35 हजार लीटर रह गई है। बिक्री होने से बच जा रहे 25 हजार लीटर दूध को पाउडर बनाने के लिये नालंदा के बिहार शरीफ स्थित प्लांट में भेजा जा रहा है। गया स्थित मगध डेयरी में पांचों जिलों में स्थित दो हजार दुग्ध समितियों से 65 हजार लीटर दुग्ध का संग्रहण किया जाता है। संघ के अंतर्गत 22 बल्क मिल्क कूलिंग यूनिट लगी हुई है। इनमें 96 हजार लीटर दुग्ध का शीतलीकरण किया जा सकता है। यह जानकारी रविवार को कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार को गया डेयरी की ओर से दी गई। मंत्री जिले में दूध की उपलब्धता व उनकी बिक्री की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। मगध मिल्क यूनियन, गया के प्रबंध निदेशक केके कर्ण व मंत्री के बीच समीक्षा बैठक सर्किट हाउस में हुई। इस दौरान मंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी नरेंद्र लोहानी व अन्य उपस्थित थे।

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सुधा के काउंटर पर दूध, दही, पेड़ा, घी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध

संघ के अधीन 40 होल डे मिल्क पार्लर सहित 864 रिटेल दुकान कार्यरत हैं। इनसे इन सभी आउटलेटों पर दूध, दही, पेड़ा, पनीर एवं अन्य सभी उत्पाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉक डाउन की अवधि में प्रमंडल के सभी जिलो में दूध की आपूर्ती सुचारू रुप से चल रही है। दूध की कहीं कोई कमी नहीं है।

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भिंडस मोड़ के पास बनाई जा रही 2 लाख लीटर क्षमता की डेयरी

डेयरी के प्रभारी पदाधिकारी ने बताया कि गया जिले में 2 लाख लीटर क्षमता का एक नया डेयरी प्लाट वजीरगंज के भिण्डस मोड़ के पास बनाया जा रहा है। इसके बाउंड्री वॉल का काम चालू हो गया है। भवन निर्माण के लिये निविदा की प्रक्रिया की गई है।

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दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार पर दिया जा रहा जोर

गौवंश का नस्ल सुधार कार्य संघ के अधीन कार्यरत 348 नस्ल सुधार केंद्रों में उपलब्ध कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा है। इन केंद्रों से सलाना 14 हजार पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है।

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दूध की खपत

लॉकडाउन से पहले- 55-60 हजार लीटर प्रतिदिन

वर्तमान में -35 हजार लीटर प्रतिदिन

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