फुट ओवर ब्रिज नहीं रहने से ट्रेन के नीचे से ट्रैक पार करते हैं विदेशी सैलानी
गया-कोडरमा रेलखंड पर स्थित गुरपा स्टेशन की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। प्राकृतिक की गोद में बसा गुरपा स्टेशन से तीन किमी दूरी पर स्थित गुरपद गिरि पर्वत पर बौद्ध व हिदू धर्म से जुड़ी धार्मिक महत्व है।
गया । गया-कोडरमा रेलखंड पर स्थित गुरपा स्टेशन की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। प्राकृतिक की गोद में बसा गुरपा स्टेशन से तीन किमी दूरी पर स्थित गुरपद गिरि पर्वत पर बौद्ध व हिदू धर्म से जुड़ी धार्मिक महत्व है। पर्वत के शिखर पर जहा विष्णु चरणपादुका है, वहीं महात्मा बुद्ध के शिष्य महाकश्यप का स्तूप है। इसके दर्शन के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। उनके लिए गुरपा स्टेशन सुविधाजनक नहीं रहने के कारण लोग सड़क मार्ग से ही सफर करना बेहतर समझते हैं। गुरपा की पहचान भले ही विदेश में हो पर स्टेशन की हालत से हमारे देश की छवि धूमिल हो रही हैं। स्टेशन पर सबसे बड़ी समस्या फुट ओवर ब्रिज की है। फुट ओवरब्रिज नहीं रहने के कारण विदेशी सलैनियों को ट्रेन के नीचे से होकर रेलवे ट्रैक पार करना पड़ता है। सड़क मार्ग भी गुरपा स्टेशन आकर खत्म हो गया है। इसके कारण लोग पैदल ही गुरपद गिरि पर्वत जाते हैं। वहां जाने का रास्ता गुरपा स्टेशन से होकर जाता है। पहले दर्शन के लिए बहुत कम विदेशी पर्यटक आते थे। पर पाच साल से प्रत्येक दिन कोई ना कोई विदेशी दल गुरपा पहुंचता है। स्टेशन पर शौचालय की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। यात्री शेड का भी अभाव है।
गुरपा स्टेशन पर मात्र चार जोड़ी ट्रेनों का ठहराव
गुरपा स्टेशन पर दो जोड़ी एक्सप्रेस व दो जोड़ी सवारी गाड़ी का ठहराव है। लंबी दूरी में कोलकता-जम्मुतवी, धनबाद-इंटरसिटी एक्सप्रेस, आसनसोल-वाराणसी, आसनसोल-गया ट्रेन का ठहराव अप-डाउन में है। कई साल पहले स्टेशन पर तकनीकी कारण से राजधानी समेत सभी लंबी दूरी की ट्रेनों का ठहराव होता था। इस स्टेशन के आगे घाट सेक्शन की शुरुआत होती है। साथ ही डाउन रेल खंड पर चढ़ाई होने कारण यात्री ट्रेन व मालगाड़ी में ट्रेन के पीछे अलग से इंजन लगाया जाता था। नया इंजन में क्षमता अधिक होने के कारण इन ट्रेनों का अब ठहराव नहीं होता है। ट्रेनों के ठहराव के कारण लोगों को इनके नीचे से आना-जाना पड़ता था।
रेलवे ट्रैक पार करने में हो चुके है हादसे
फुटओवर ब्रिज नहीं रहने के कारण लोग रेलवे ट्रक पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से अभी तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। विरहोरटोला निवासी विजय विरहोर, गुरपा निवासी पप्पी की पत्नी, पतवास निवासी प्रमोद कुमार समेत अन्य लोग रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान अपनी जान गवां चुके है। मेस्कोर निवासी राजेन्द्र मांझी का ट्रेन से नीचे से पार करने के दौरान हाथ कट गया था। विदेशी पर्यटक भी चोट के शिकार हुए है। रेल मंत्रालय सिर्फ आश्वासन ही मिला
गुरपा निवासी हुलास साव ने बताया कि गुरपा स्टेशन की सुविधा बढ़ दी जाती है तो व्यवसाय में वृद्धि होगी। वहीं रेलवे को अधिक राजस्व प्राप्त होगा। गुरपा संघर्ष समिति के धनंजय साव ने बताया कि ओवरब्रिज बनाने के लिए कई बार सासद, मंत्री से लेकर रेल मंत्रालय को पत्र लिखा गया है, पर सिर्फ अभी तक लोगों का आश्वासन ही मिल रहा है। समिति के सदस्य संजीव सिंह ने बताया कि समय रहते ओवरब्रिज का निर्माण हो गया होता, तो कई अप्रिय घटना नहीं घटती। पर कब इसका निर्माण होगा इसके बारे में रेल मंत्रालय कुछ नहीं कह रहा है। गुरपा निवासी राजेंद्र यादव उर्फ राजू यादव ने बताया कि भले ही गुरपा व गुरपद गिरि का विदेशों में नाम हो पर स्टेशन का विकास नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार गुरपा को पर्यटक स्थल के रूप घोषित किया है। क्षेत्र को विकसित करने के लिए कई सालों से सिर्फ रोड मैप तैयार कर रहा है। वहीं स्टेशन के विकास के लिए कोई बात नहीं होती है। पटना-राची जाने के लिए गुरपा से कोई ट्रेन नहीं है। कई बार आदोलन किया गया। पर कोई फायदा नहीं हो सका।