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सुखाड़ तो चौतरफा है, प्रशासन की नजर में खोट की शिकायत

धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले के सबसे बड़े टिकारी प्रखंड को सरकार द्वारा सुखाड़ क्षेत्र घोषित नहीं करने पर किसानों ने गहरी नाराजगी जताई है। अनावृष्टि का मार झेल रहे किसान सरकार पर दोरंगी नीति अपनाने और पदाधिकारियों पर फसल बुआई की टेबुल रिपोर्टिग करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सावन भादो जैसे माह में नदी में धूल उड़ रहा है आहार पईन पोखर नहर आदि सभी पारंपरिक जलश्रोत सूखे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 02:32 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 02:32 AM (IST)
सुखाड़ तो चौतरफा है, प्रशासन की नजर में खोट की शिकायत
सुखाड़ तो चौतरफा है, प्रशासन की नजर में खोट की शिकायत

गया । धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले के सबसे बड़े टिकारी प्रखंड को सरकार द्वारा सुखाड़ क्षेत्र घोषित नहीं करने पर किसानों ने गहरी नाराजगी जताई है। अनावृष्टि का मार झेल रहे किसान सरकार पर दोरंगी नीति अपनाने और पदाधिकारियों पर फसल बुआई की टेबुल रिपोर्टिग करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि सावन, भादो जैसे माह में नदी में धूल उड़ रहा है, आहार, पईन, पोखर, नहर आदि सभी पारंपरिक जलश्रोत सूखे हैं। खेतों में दरार और घास उगे हैं। वह क्षेत्र आबाद कैसे हो सकता है।

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मालूम हो कि टिकारी नगर सहित 24 पंचायत वाले इस प्रखंड में कुल 17 हजार 562 किसान कृषि विभाग से पंजीकृत हैं। खरीफ फसल में धान के कुल 10 हजार 460 हेक्टेयर में आच्छादन के लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 7283 हेक्टेयर ही आच्छादित हुआ। जबकि धान के बिचड़ा लक्ष्य के अनुसार शतप्रतिशत यानी 1060 हेक्टेयर में होने का दावा कृषि विभाग द्वारा किया गया है। सितंबर में 157 मिमी के विरुद्ध अभी तक मात्र 20 मिमी ही हुई है। सुखाड़ के मद्देनजर ही सरकार के निर्देश पर टिकारी प्रखंड में वैकल्पिक फसल की बुआई हेतु आकस्मिक बीज का वितरण किया गया था। अब किसान सवाल कर रहे हैं कि जब यहां सुखाड़ की स्थिति नहीं थी तो बीज का वितरण क्या उपहार में किसानों को दी गई। प्रखंड कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में 7139 किसानों के बीच अब तक अरहर, तोड़िया, कुल्थी और मटर का कुल 28416 क्विंटल आकस्मिक फसल के रूप में बीज का वितरण किया जा चुका है। इतना ही नही सरकार के निर्देश पर आपदा की स्थिति में प्रभावित होने वाले परिवारों का सर्वे कर गाव और पंचायतवार सूची भी तैयार कराई गई थी। इसमें प्रखंड क्षेत्र से कुल 42 हजार 218 परिवारों को चिन्हित कर उसकी सूची तैयार की गई है। सर्वे रिपोर्ट तो जिला में भेज दिया गया, लेकिन उससे जुडे़ फॉर्म अभी कार्यलय की शोभा बनी है। इस वर्ष सरकार के नए नियम के कारण डीजल अनुदान के लगभग 4000 ऑनलाइन आवेदन बेकार साबित होकर रह गया। किसी किसान को डीजल अनुदान की भी राशि नही मिली। सरकार द्वारा सुखाड़ को देखते हुए धान के बिचड़ा की सिंचाई के लिए दो और धान की सिंचाई के लिए तीन पानी का डीजल अनुदान देने की घोषणा की गई थी। क्षेत्र के किसान सूर्यदेव सिंह, भवेश कुमार, बचन यादव, ब्रजेन्द्र कुमार, दिनेशचंद्र, उपेन्द्र सिंह आदि कई किसानों ने सुखाड़ क्षेत्र घोषित नहीं करने पर अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि यह सरकार कागजों पर चल रही है। अधिकारियों का झूठ सच रिपोर्ट मायने रखता है। धरातल की वस्तु स्थिति से कोई मतलब नहीं है। पूरे क्षेत्र में पानी के लिए हाहाकार मचा है। खेतों में लगी धान की फसल पानी के अभाव में सूख रही है। फिर सरकार को आबाद और सब कुछ ठीक नजर आ रहा है तो उसमें हम किसानों का क्या कसूर है।

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गुरारू में अनुदान के हकदार

को लेकर संशय

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संवाद सूत्र, गुरारू: राज्य सरकार ने प्रखंड के सात पंचायतों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। सरकार ने इन पंचायतों में 70 प्रतिशत से कम धान का आच्छादन होने व 30 प्रतिशत कम वर्षापात को आधार मानकर यह घोषणा की है। इस घोषणा में किसान को तीन हजार रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता देने की बात है। इस बात को लेकर यहा कृषि कार्य से जुड़े लोगों में भारी संशय की स्थिति है। यह सहायता राशि वैसे किसान जो स्वयं रैयत हैं, उन्हें दी जाएगी या गैर रैयत किसान जो बटाईदारी के तहत खेती करते हैं, उन्हें दी जाएगी। इस पर संशय बनी हुई है। साथ ही कृषि कार्य पर निर्भर रहने वाले खेतिहर मजदूरों के लिए सरकार क्या कर रही है, यह भी स्पष्ट नहीं है। किसान मजदूर मोर्चा मगध के नेता चंद्रशेखर प्रसाद यादव का कहना है कि तीन हजार रुपये की सहायता राशि से किसानों के परिवार में बच्चों की पढ़ाई, भोजन, वस्त्र, दवाई सहित अन्य जरूरतें पूरी हो जाएगी। सरकार ने किस आधार पर यह तय कर लिया है। इसके विरोध में किसान सड़क पर आदोलन के लिए निकलेंगे। शहीद भगत सिंह विचार मंच के संयोजक व किसान नेता बालेश्वर प्रसाद यादव ने कहा है कि सरकार की सहायता राशि की घोषणा किसानों के साथ क्रूर मजाक है । यह घोषणा किसानों को ठगने का तरीका है। इसमें कृषि कार्य से जुड़े किसी तरह के लोगों को फसल की भरपाई नहीं मिल पाएगी। इस फैसले के विरोध में किसान एकजुट होकर जन आदोलन करेंगे।

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सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करना छलावा

संवाद सूत्र, कोंच: प्रखंड के 13 पंचायतों को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद शेष पाच पंचायत के किसानों में सरकार के प्रति काफी रोष है। किसानों का कहना है कि प्रखंड के सभी पंचायत सूखे की मार झेल रही है। भादो खत्म हो गया। आश्रि्वन माह में भी चापाकल के पानी का जल स्तर काफी नीचे चला गया है। पानी के लिए हाहाकार मचा है। प्रखंड कुरमावां, सीमरा, अदई, खजुरी, असलेमपुर, गरारी, काबर, कोराप, आती, चबुरा, मंझियावा, उतरेन व तिनेरी पंचायत को सुखाग्रस्त घोषित किया गया है। इन पंचायतों के किसान राजाराम यादव, अमित यादव आदि ने कहा सरकार हम किसानों को ठगने की काम कर रही है। जबकि पूरे इलाके में धान की रोपनी बहुत कम हुई है। जो पानी के अभाव में सूख रहे हैं। खेतों में दरारें पड़ने लगी है। सरकार को अकाल क्षेत्र घोषित करना चाहिए था न कि सूखा क्षेत्र। यह घोषणा किसानों के साथ छलावा है। पंचायत परसावा, केर, गौहरपुर, श्रीगाव व कोंच को सूखाग्रस्त क्षेत्र नहीं घोषित किये जाने से किसानों में सरकार के प्रति रोष है। बता दें कि कों, परसावा आदि पंचायतों के लोगों को आज भी चापाकल से पानी निकल रहा है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुनिल दत्त शर्मा ने कहा प्रखंड में 4182 हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल लगाने की लक्ष्य था। जिसमें 50 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है। कम वर्षा होने व जल स्तर नीचे चले जाने से किसानों को फसल बचाना मुश्किल है।

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बेलागंज के बाजीतपुर पंचायत सूखाग्रस्त घोषित नहीं होने से रोष

संवाद सूत्र, बेलागंज: प्रखंड के 19 पंचायतों में से 18 पंचायत को सरकार सूखाग्रस्त घोषित कर चुकी है। प्रखंड में कुल 8642 हेक्टेयर भूमि पर धान के रोपनी का लक्ष्य था। अल्प वर्षा के बावजूद विभिन्न संसाधनों के माध्यम से 5776 हेक्टेयर भूमि की रोपनी किसानों ने की। अल्प वर्षा के कारण जलस्तर में हो रहे नित्य गिरावट के कारण जहा सिंचाई के विभिन्न संसाधन काम करना बंद कर दिया है। जिससे क्षेत्र में अकाल की साया मंडरा रही है। पेयजल भी एक समस्या बनाकर उभर रही है। एक पंचायत बाजीतपुर को सूखाग्रस्त पंचायत घोषित नही होने से यहा के किसानों में निराशा के साथ साथ रोष है। एक पंचायत बाजीतपुर को सूखाग्रस्त पंचायत घोषित नहीं होने से यहा के किसानों में निराशा के साथ साथ रोष भी है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि औसत से कम वर्षा होने के कारण खेतों में खरीफ की रोपाई कम हुई है। वहीं, जो रोपाई हुई भी है उसे भूमिगत जलस्तर को नीचे जाने के कारण किसान बचाने में असमर्थ हो रहे है। उन्होंने बताया कृषि समन्वयक द्वारा बाजितपुर पंचायत को 83 प्रतिशत रोपनी कार्य के रिपोर्ट के कारण उक्त पंचायत सूखाग्रस्त होने से वंचित होना पड़ा हैं। जिसकी पुन: जांच कर रोपनी कार्य को सत्यापित किया जा सकता है।

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अतरी में किसान के साथ

खिलवाड़ कतई बर्दास्त नहीं

संवाद सूत्र, अतरी: अतरी, मोहड़ा व बथानी प्रखंड क्षेत्र के दोहरी सुखाड़ के बाद भी सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित नहीं किया गया। जिससे क्षेत्र के किसानों में रोष देखने को मिल रहा है। किसान सुरेंद्र सिंह, शकर दयाल सिंह ने बताया कि एक बार नहीं सह दूसरा बार क्षेत्र में सुखा पड़ा है। फिर भी सुखाड़ से वंचित रखना ये सरकार की दोरंगी नीति है। यदि क्षेत्र में रोपे गए धान की सही तरीके से मुआयना कर सही रिपोर्ट नहीं भेजी जाती है तो यहां के किसान सड़क पर धरना प्रदर्शन करेंगे। सरकार की दोरंगी नीति और किसान के साथ खिलवाड़ कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा। अतरी, मोहड़ा व नीमचक बथानी प्रखंड के कई पंचायत ऐसे हैं, जो पहाड़ की तलहट्टी में बसे हैं।

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डुमरिया में एक पंचायत को सूखाग्रस्त किए जाने से रोष

संवाद सूत्र, इमामगंज: डुमरिया प्रखंड क्षेंत्र के ग्यारह पंचायतों में से सिर्फ एक पंचयात को सुखाग्रस्त घोषित करने पर दस पंचायत की किसानों में आक्रोश है। किसान रामकृष्ण प्रसाद, धनंजय प्रसाद, सुखदेव प्रसाद, कामता प्रसाद, सत्येंद्र प्रसाद आदि ने कहा प्रखंड में कुल ग्यारह पंचायत हैं। जिसमें सिर्फ सेवरा पंचायत को ही सुखाड घोषित किया गया है। जो गलत है। बीडीओ श्रुति कुमारी ने बताया प्रखंड क्षेत्र में 63 प्रतिशत बारिश हुई है। जिसका रिर्पोट वरीय पदाधिकारी के पास भेज दी गई है।

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बांकेबाजार के सूखाग्रस्त पांच पंचायतों में 17 अक्टूबर से कराया जाएगा सर्वे

संवाद सूत्र, बांकेबाजार: प्रखंड के कुल 11 पंचायतों में छह पंचायत को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। टंडवा, पननिया, तिलैया, सैफगंज एवं गोइठा को सुखाड़ घोषित नहीं किया गया है। प्रखंड विकास पदाधिकारी सोनू कुमार ने बताया इन छह पंचायतों में 15 अक्टूबर से सर्वे कराया जाएगा। 15 अक्टूबर तक वर्षा नही हुई तो अवश्य इन पंचायतों को भी सुखाड़ घोषित करने के लिए प्रतिवेदन भेजा जाएगा। अभी सुखाड़ घोषित पंचायतों में प्रति परिवार तीन हजार रुपये देने हेतु प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सुखाड़ घोषित छह पंचायतों में लगभग 90 हजार परिवार से अधिक लोग लाभान्वित होने की बात बताई है। पूरे प्रखंड के 11 पंचायतों को मिलाकर अबतक सर्वे के अनुसार 23 हजार परिवार का आकड़ा प्रखंड कार्यालय में उपलब्ध बताया गया। जिसमें तीन हजार परिवार का आकड़ा कुछ गलत रिपोर्ट के आधार पर छंट सकता है। पूरे प्रखंड को सुखाड़ घोषित किए जाने पर 20 हजार परिवार को लाभ मिलेगा। बीडीओ के अनुसार अगस्त माह में औसत वर्षा 107 मिलीमीटर ही है। उन्होंने अभी सुखाड़ घोषित रोशनगंज पंचायत को सुखाड़ का लाभ देने से कुछ कारणवश रोकलगाने की बात बताई।

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टनकुप्पा के किसान करेंगे आंदोलन

संवाद सूत्र, टनकुप्पा: टनकुप्पा प्रखंड को बिहार सरकार द्वारा सुखाड़ क्षेत्र धोषित नहीं किए जाने पर प्रखंड काग्रेस अध्यक्ष शभु शरण सिंह द्वारा आपत्ति जताई गई है। उन्होंने कहा कि टनकुप्पा प्रखंड के किसानों के साथ बिहार सरकार और प्रखंड की कृषि विभाग ने अन्याय किया है। प्रखंड में सिचाई का कोई भी समुचित संसाधन नहीं है। क्षेत्र का कृषि कार्य भगवान भरोसे है। पहाड़ी और पथरीला क्षेत्र होने के कारण जमीन के अंदर भी पानी नहीं है। विगत कई दशकों से प्रखंड के सभी बरसाती जल श्रोतों का जिर्णोद्धार नहीं किए जाने से मृत होने की कगार पर पहुंच गया है। क्षेत्र का आहर, पोखर, तलाब आदि सभी जर्जर अवस्था में आ गया है। कम बारिश होने की वजह से क्षेत्र में सुखी संपन्न किसान महज 10 प्रतिशत खेतों में खरीफ फसल लगा सके। वो भी जल रही है। मध्यम और गरीब तबके के किसानों ने खेतों में कुछ भी धान का फसल नहीं लगाया है। काग्रेस अध्यक्ष शंभु शरण सिंह ने बताया कि प्रखंड कृषि पदाधिकारी से फोन करके सुखाड़ रिर्पोर्ट के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि क्षेत्र में 30 प्रतिशत से कम बारिश होने की सूची भेजी गई है। सुखाड़ का निर्णय पटना में बैठे अधिकारी लेते हैं। आदोलन करने हेतु प्रखंड के किसानों से संपर्क किया जा रहा है।


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